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योरोप में मूर्तिपूजा करते हैं ? इन्हें अभी तक इसका पता ही नहीं है । जरा निम्नांकित उदाहरणों पर ध्यान लगाकर हृदय पर हाथ रख विचार करें।
१-उत्तर अफ्रीका में प्राचीन इजिप्त (मिश्न) देश में असिरिश और आइरिस नामक लिंग अब भी पूजे जाते हैं। शिव के सदृश असिरिश के मस्तक में सर्प और हाथ में त्रिशूल एवं अंग में व्याघ्र धर्म का परिवेष्ठन है । ऐपिस नामक वृषभ के ऊपर बैठे हैं। इस देश में एक बिल्व सदृश वृक्ष होता है उसी के पत्ते इस मूर्ति पर हमेशा चढते हैं। दुग्ध से स्नान कराया जाता है। जिस प्रकार अपने देश में शवों का काशीधाम है वैसे ही उनके वहाँ पर एम्पिस नामक प्रसिद्ध नगर है। उस देश में लिङ्ग का बीजाक्षर "ट" है मूर्ति का रंग काला है। असिरिश वृषभ और आइसिस गोरूप में स्थित है।
२-उत्तर अफ्रिका की जितनी अरब जातियां हैं, सबलिंग और शक्ति की पूजा करती हैं।
३-ग्रीस देश में लिंग पूजा अभी तक चलती है। ४-इफसिस देश में डायना नामक देवी की पूजा होती है।
५- ग्रीश देश में आधा हिस्सा बकरे का और आधा मछली का इस शकल की पान नामक मूर्तिकी, तथा और भी प्रीवायस, मीना, पीगेश नामक मूर्तियों की पूजा होती है। .
६-रोम और फ्लारेन्स नगर में बेक्त नामक देवकी पूजा होती है।
७-नोमन केथोलिक संप्रदाय के लोग जो क्रिश्चियन हैं इटली में लिंग और अन्य मूनिए पूजते हैं ।
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