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१६ –— कुम्भारियाजी पहाड़ पर भी पूर्व
जमाना में ३००
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मन्दिर कहे जाते हैं । उनमें से ५ तो आज भी विद्यमान हैं । १७ – तारंगाजी के पहाड़ पर गगन चुम्बी भव्य जैन मन्दिर हैं ।
प्रकरण पाँचवाँ
१८ - तलाजा कदम्बगिरि पहाड़ों पर भी विशाल जैन मन्दिर हैं।
१९ - नारलाई ( मारवाड़) की दोनों पहाड़ियों पर जैन मन्दिर हैं, जिन्हें लोग मारवाड़ के शत्रुश्ञ्जय और गिरनार अवतार कहते हैं ।
२० - पाली की पहाड़ी पर जैन मन्दिर है ।
२१ - जोधपुर के पास गुगं का तलाब की छोटी सी पहाड़ी पर दो रमणीय जैनमन्दिर हैं ।
२२ - राजगढ़ (मेवाड़) की पहाड़ी पर श्रीमान् दयालशाह का बनाया हुआ भव्य एवं दर्शनीय जैनमन्दिर हैं ।
२३- अरावली पहाड़ के बीच त्रिलोकदीपक राणकपुर का मन्दिर जो अपनी समता का भारत में एक ही जैन मन्दिर है ।
उ र्युक्त पहाड़ों के अलावा भी श्री शंखेश्वर, चारूप, कुलपाक, श्रान्तरिक, मक्सी, माँडव, उज्जैन, केशरियानाथ, भाँदक जारी कापरड़ा और, ओसियां आदि के मशहूर जैन मन्दिर हैं जो अपनी प्राचीनता. भव्यता और दृढ़ता के लिए विश्व विख्यात हैं । जैन मन्दिर और मूर्ति का इतना निरबाध प्रचार होने का कारण यह है कि जैन मूर्तियों की, त्याग, शान्ति और ध्यानमय प्रकृति संसारी जीवों का कल्याण करने में समवायि कारण है । क्योंकि ऐसो भव्याकृति भवतापतप्त जीवों का मन स्वतः शान्ति को और खींच
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