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प्रकरण पांचवाँ
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. ९-बदनावर के किले में पहिले जैन मन्दिर था। - १०-ईडर के किले में एक विशाल जैनमन्दिर आज भी विद्यमान है,जिसकी हजारों भावुकलोग यात्राकर प्रानन्द लुटते हैं।
११-जालौर के किले में बड़े भव्य जैनमन्दिर अब भी सुरक्षित हैं जिन्हें लोग सौन्दर्य के कारण आधा शत्रुञ्जय कहते हैं। : १५-मांडवगढ़ के दुर्ग में जैनमन्दिर विद्यमान है।
१३-रणथंभोर के किले में भी जैन मन्दिर थे। .: १४-अलवर के किले में धर्मवीर हीरानन्दजौहरी ने जैन मन्दिर बनवाया था।
१५-त्रिभुवनगिरि के किले में खुद वहाँ के राजा ने जैन मन्दिर बनवाया था।
१६-किराटकंग के किले में भी जैन मन्दिर था । - इत्यादि इनके अलावा और भी जैन पटावलियों वंशावलियों
और चरित्रादि ग्रन्थोंसे पता चलता है कि अनेक राजा महाराजाओं के दुर्गों में जैन मन्दिर थे।
इस उपर्युक्त तालिका से इतना तो अवश्य पाया जाता है कि जैनों में मन्दिर मतियों का मानना बहुत प्राचीन समय से है। और इन दुर्गस्थ मन्दिरों ने राजा महाराजाओं पर ही नहीं परन्तु संसार भर में जैनधर्म का अच्छा प्रभाव डाला। अब आगे चलकर हम भारत के रमणीय पहाड़ों पर के जैन मन्दिरों की संक्षिप्त सूची लिखते हैं:
१-कलिङ्ग देश के खण्डगिरि और उदयगिरि पहाड़ियों पर पालीशान जैनमन्दिर थे, जिनका जिक्र चक्रवर्ती महाराजा खारवेल के शिलालेख से मिलता है।।
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