SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ FFPSP HE मरुधर केशरी मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज ___ आप हमारे मारवाड. के एक धर्मवीर और चमकते सितारे हैं। आप श्री का जन्म मरुधर जैसी वीर भूमि की प्रधान राज धानी जोधपुर स्टेट से १८ मिल के फासिले पर बसे हुए समृद्ध नगर वीसलपुर में उदारतादि अनेक गुण युक्त श्रेष्ठ गोत्रीय वैद्य मेहता जाति के नर रत्न श्रीमान नवलमलजी साहिब की धर्मपत्नी श्रीमती रूपादेवो को रत्न कुक्षि से वि० सं० १९३७ विजयादशमी के शुभ दिन को हुआ था । जब आप माताश्री के गर्भ में आए तब माताजी ने "प्रधानगज" का स्वप्न देखा था तदनुसार श्राप का नाम भी “ गयवरचन्द " रखा। आप के जन्म के शुभ सम्वाद से चारों ओर हर्ष की लहरें उमड. पड़ी थीं और हर्ष के कारण आपश्री के माता पिता ने पुत्र जन्म की खुशी में अनेक प्रकार के दान और महोत्सव किए क्यों कि कहा भी है कि: रण-जीतण तोरण बन्धन, पुत्र जन्म उत्साव । तीनों अवसर दान के, कौन रंक कौन राव।। आपकी बाल्यावस्था भी पूर्ण प्रमोद एव परमानन्द से बीती थी और बाद में जब आपने विद्या के क्षेत्र में प्रवेश किया तो पूर्व जन्म के सजड़ संस्कारों के कारण आपने थोड़े ही समय में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy