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पूजा का फल यावत् मोक्ष
घुस गई हो तो उसको शीघ्रातिशीघ्र निकाल के वीतराग के दृढ श्रद्धा रख कर स्व परका कल्याण
कथनानुसार मूर्तिपूजा की करने में प्रयत्न करते रहें ।
७ - यदि इस में किसी को कुछ पूछना हो तो विद्वानों से जिज्ञासुभावों से पूछ के निर्णय करलें पर मिले हुए अमूल्य मनु* भव को व्यर्थ भ्रम में न जाने दें। थोड़ा बहुत अपनी बुद्धि से भी विचार करें कि मूर्तिपूजा में किस प्रकार की उत्तम एवं उज्वल भावना रहती है व मुक्ति का कारण क्यों न होगा अर्थात् अवश्य होगा हो । ओ३म् शांति |
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