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प्रकरण तीसरा
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वाले सज्जन किसी कोश में उनके पूर्वोक्त चार नाम या सात हाथ से पांचसौधनुष्य का शरीर तथा पद्मासन आदि बतलाने का साहस कर सकेंगे ?
अब आगे चलकर हम शाश्वति मूर्तियों के शरीर का वर्णन विषय-सूत्र अर्थ का उल्लेख करेंगे जिससे पाठक भली-भाँति समझ जायेंगे कि निश्चयात्मक यह शाश्वतिमूर्तियाँ तीर्थकरों की ही है।
"तासिणं जिन डिमाणं इमेयारूवे वरणवासे परंते । तं जहा-तवणिज्जमया हत्थतला पायतला, अंकम याइंग क्खाई तो लोहियक्खपडिसेगयाई, कणगमइओजंघाओ, कणगमयजाणू, कणगमयऊरूँ, कणगमयइउंगायल द्वीजं तवजिमयाश्र णामित्रो, रिठ्ठा मइयोरोमराइओ, तवणिज्ज मयाचञ्चूया, तबणिज्जम यसिरिवत्था, सिलप्पवालम यउठ्ठा, फालियामयदंता, तवाणज्जमयजिहाओ, तवणिजमयतालुया, कणगम यासिगात्रो, अंतोलोहिक्ख पडिगो, अंक: मयणित्राच्छणि, अंतोलोहियक्ख पडिसेगाओ, रिठ्ठाभइत्र तारा, रिठ्ठामयाणि च्छित्ताणि, रिठ्ठामइयो भमुहाओ कणगमयासवणा, कणगनइ श्र णिलाड पट्टिशत्र, बहरामइत्रो सीसघडीओ, तवणिज्जमइत्र के संतवे. सभूमित्रो, रिठ्ठामया उवरिंमुद्धया" ।
ऋषिजी का हिन्दी अनुवाद - उन प्रतिमाओं का इस प्रकार वर्णन करते हैं तद्यथा - तपाये सुवर्णमय हाथपांव के तले हैं
करत्नमय श्वेतनख है,
नखके
अन्दरकाभाग
लोहिताक्ष
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