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( 66 ) अकबर के सत्कार्यो की गणना प्रसंग में ही डाबर सरोवर में मीनों के अभयदान का वर्णन किया है।
इसी समय अवसर पाकर सूरिजी ने बादशाह को पयूषणों के आठ दिनों में सारे राज्य में जीव हिसा बन्द करने का फरमान निकालने का उपदेश दिया । सूरिजी के उपदेश से बादशाह ने अपने कल्याण के लिए उनमें चार दिन और जोड़कर (भादवा वदी दसमी से भादवा सुदी छठ तक) बारह..दिन के लिए फरमान लिख दिया, इस फरमान की छ: नकलें करवाकर इस प्रकार भेजी
1-गुजरात और सौराष्ट्र 2-दिल्ली, फतेहपुर आदि 3-अजमेर, नागौर आदि 4-मालवा और दक्षिण देश 5-लाहौर और मुल्तान 6-सूरिजी को सौंपी गई
हीरविजय सूरिरास और जगद्गुरु हीर में भी इसका वर्णन मिलता है। 'फरमान देते हुए अकबर ने सूरिजी से कहा कि मेरे अनुचर मांसाहार और मद्यपान के प्रेमी हैं, उन्हें जीव हत्या बन्द करने की बात एकदम से रूचिकर नहीं लगेगी, इसलिए मैं धीरे-धीरे बन्द कराने की कोशिश करूंगा। पहले की तरह मैं भी शिकार नहीं करूंगा और ऐसा प्रबन्ध कर दूंगा कि प्राणीमात्र को किसी तरह की तकलीफ न हो।
सूरिजी के विवेक पर बादशाह इतना मुग्ध हुआ कि उसने सोचा कि ये तो जैन गुरू न होकर जगद्गुरू हैं अतः उसने सारी प्रजा के समक्ष मुरूदेव को जगद्गुरू की पदवी दे दी । इस समय बादशाह ने महान उत्सव मनाया।
एक दिन बीरबल के हृदय में सरिजी की ज्ञान शक्ति मापने की इच्छा हुई । बादशाह की रजा लेकर उसने सूरिजी से पूछा कि क्या शंकर सगुण हैं ? सूरिजी ने जबाव दिया- हां शंकर तो संगण है बीरबल ने कहा मैं तो शंकर को निगण मानता हूँ । इस पर सूरिजी ने पूछा क्या तुम शकर को ईश्वर मानते हो? बीरबल द्वारा ज्ञानी बताये जाने पर सरिजी नै फिर प्रश्न किया कि ज्ञानी का मतलब क्या है ? बीरबल ने बताया ज्ञानी का मतलब ज्ञान वाला है। सूरिजी ने कहा
1. कृपारस कोष - शान्तिचन्द्रगणि श्लोक 110 2. सूरिश्वर और सम्राट-कृष्णलाल वर्मा पेज 128 3. हीरविजयसूरिरास पेज 128, जगद्गुरुहीर पृष्ठ 83.84
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