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हिन्दू, जैन, ईसाई, सिक्ख आदि धर्माचार्यों ने बादशाह के सामने अपनेपने धर्म के श्रेष्ठ सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया किन्तु विद्वानों में पुरुषोत्तम हार देवी प्रमुख थे । इनके प्रभाव से बादशाह आत्मा के आवागमन में विश्वास करने लगा । बदायूँनी लिखता है "सात नक्षत्र सप्ताह के प्रत्येक दिन से सम्बन्धित होते हैं इन नक्षत्रों में से प्रत्येक के रंग के अनुसार अकबर ने उस दिन के पहिनने क लिए अपनी वेश-भूषा बनवाई थी "" ।
पारसी धर्माचायं मेहरजीराणा ने सूर्य और अग्नि की उपासना को श्रेष्ठ बताया। ईसाइयों के प्रभाव से गिरजाघर में जाकर घुटने टेककर व हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा ।
जैन धर्माचाय और मुनियों आचार्य हीरविजयसूरी, विजयसेनसूरि जिनचन्द्रसूरि, जिनसिंहसूरि, भानुचन्द्र उपाध्याय, सिद्धिचन्द्र उपाध्याय आदि ने बादशाह पर स्थायी प्रभाव डालकर जनहित धर्म रक्षा व जीव दया के अनेक कार्य करवाये । जैन धर्म का बादशाह पर जो प्रभाव पड़ा। यह बताना ही हमारे विषय का प्रमुख लक्ष्य है। जिसका विस्तृत विवेचन अगले अध्याय में किया जायेगा |
1. अलबदायूंनी डब्ल्यू. एच. लॉ: द्वारा अनुदित भाग 2 पृष्ठ 268
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