________________
( 41 )
के सूबेदारों को यह आदेश दिया गया कि सिद्धाचल, गिरनार, तारंगा, केसRयानाथ, आबू, गिरनार और राजगिरी के जैन तीर्थ स्थानों और मन्दिरों की पहाड़ियों को तथा बिहार और बंगाल में जैनियों के तीर्थ स्थानों व इन पहाड़ियों की तलहटी के सभी स्थानों को जैनियों को सौंप दिया जाये।
ईसाइयों को खम्भात, लाहौर, हुगली, और आगरा में गिरजाघर निर्मित करने की अनुमति दे दी गई । इन स्थानों पर धीरे-धीरे राजकीय व्यय से गिरजाघर बनवाये गये।
7. गैर मुसलमानों को राज्य के उच्च पदों पर नियुक्ति
____ अकबर ने इस आधारभूत सिद्धान्त को समझ लिया था कि सभी मतों और धर्मो का जनक ईश्वर है और इसलिए सारा मानव समाज ईश्वर के पुत्र के समान होने से जन्म से ही सभी मनुष्य समान अधिकार रखते हैं इन विचारों के कारण अकबर का शासन और राजस्व का सिद्धान्त उदार, सहिष्णु और व्यापक बन गया।
शासन सत्ता अपने हाथ में लेते ही अर्थात् 1562 के प्रारम्भिक महीनों मैं ही टोडरमल, मानसिंह, भगवन्तदास, बेनीचन्द्र, बीरबल, जयमल, कछवाहा बादि को अकबर ने अपने राज्य की सेवा में उच्च पदों पर नियुक्त कर लिया पा। राजस्व विभाग में उसने टोडरमल के अतिरिक्त अनेक हिन्दू कर्मचारी और अधिकारी नियुक्त किये इससे दोनों के भेद-भाव की खाई घटने लगी। अकबर की बह नीति बहुत कुछ अबुलफजल के विचारों से भी प्रभावित हुई । अबुलफजल लखता है कि-"राजपद ईश्वर का एक उपहार है, और यह तब तक प्रदान नहीं किया जा सकता जब तक कि एक व्यक्ति में हजारों महान गुणों और विशेषमाओं का समन्वय न हो जाये । इस महान पद के लिए जाति, धन सम्पत्ति तथा लागों की भीड़-भाड़ ही काफी नहीं है । वह इस महान पद के लिए तब तक शोग्य नहीं हैं, जबकि वह सार्वजनिक शान्ति और सहिष्णुता पैदा न करे। यदि
मानवता की सभी जातियों और धर्म सम्प्रदायों को एक आंख से नहीं देखता र कुछ लोगों के साथ माता का सा और कुछ के साथ विमाता का सा व्यवहार ता है तो वह इतने महान पद के लिए योग्य नहीं हो सकता।" उसका स्वयं भी विश्वास था कि राजा को प्रत्येक धर्म और जाति के प्रतिपूर्ण सहिष्णु
चाहिए । इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर उसने शासन में उच्च पदों पर पक्ति करने में हिन्दू मुसलमानों के विभेद को समाप्त कर दिया। यहां तक कि सबदारों में भी हिन्दू नियुक्त किये गये । एक सहस्त्र सैनिकों के 137 मनसब
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org