________________
( 37 )
इन विचारों से उनके हृदय में यह भाव अंकित हो गया कि जाति धर्म रहन-सहन के भेद-भाव का विचार किये बिना सभी वर्गों के लोगों की निःस्वार्थं वा से बढ़कर ईश्वर को प्रसन्न करने का अन्य कोई मार्ग नहीं है ।
1. युद्ध बन्दियों को मुसलमान बनाने का निषेध -
अकबर को इस नवीन भावना का प्रथम ठोस परिणाम यह हुआ कि उसने अपने बीसवें जन्मदिन 1562 को एक नवीन आज्ञा प्रसारित की जिसके अनुसार युद्ध बंदियों को गुलाम बनाने तथा उन्हें बलपूर्वक इस्लाम स्वीकार कराने की की मनाही कर दी गयी। इससे पहले विजीत सेवायें लोगों के स्त्री- बच्चों को दास बना लिया करती थी। बंदी हिन्दू सैनिकों की पत्नियां, बच्चों और सम्बन्धियों का उपयोग करने के लिए उन्हें मुस्लिम अधिकारियों को सौप दिया जाता था । यह प्रथा इस्लाम धर्मानुमोदित मानी जाती थी। बादशाह ने ईश्वर भक्ति से, दूरदर्शिता तथा सविवार से प्रेरित होकर आदेश दिया कि उसके साम्राज्य से विजयी सेना का कोई सैनिक ऐसा काम नहीं करेगा । सैनिक चाहे छोटा हो या बड़ा उसे किसी को कभी कोई दास बनाने का अधिकार नहीं होगा । अबुल फजल 'लिखता है कि "बादशाह ने समझा था कि स्त्रियों और निरपराध बच्चों को दण्ड देना अन्याय है यदि पुरुष घृष्टता का मार्ग ग्रहण करते हैं तो इसमें उनकी पत्नियों का क्या दोष है ? यदि पिता बातशाह का विरोध करते है तो उनके बच्चों ने अपराध किया है । इसके अतिरिक्त सैनिक लोग लाभ वश गावों को आक्रमण 'करके लूट लिया करते थे जब इस विषय में आदेश बन्द हुई।
दिया गया तो यह प्रथा
इस प्रकार युद्ध बन्दियों को स्वतन्त्रतापूर्वक अपने घर और परिवार वालों के 'पास जाने की अनुमति दे दी गयी ।
4. तीर्थ यात्रा कर का निषेध
'भारत वर्ष में शासन लोग उन हिन्दुओं से करें लिया करते थे जो पवित्र स्थानों की यात्रा के लिए जाया करते यह कर यात्रियों के धन और पद के अनुसार लिया जाता था । और कर्मी कहलाता था । अबुल फजल के अनुसार इससे करोड़ों रुपयों की आमदनी होती थी । सन् 1563 में अकबर चीतों के शिकार के लिए मथुरा गया । जब बह अपने कैम्प में था तो उसे बताया गया कि जो हिन्दू यात्री यहाँ आते हैं उनसे यात्रा कर लिया जाता है और यह तीर्थ यात्रा कर
1. अकबरनामा हिन्दी अनुवाद मथुरालाल शर्मा पुष्ठ 221 पर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org