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कुछ डगमगाता हुआ साअधिकार पंजाब के कुछ जिलों पर था और वह सेना भी ऐसी नहीं थी जिस पर पूरा विश्वास किया जा सके । अकबर को वास्तव में सम्राट बनने के लिए यह सिद्ध करना था कि वह दूसरे उम्मीदवारों की अपेक्षा अधिक योग्य है और उसको कम से कम अपने पिता का खोया हुआ राज्य तो पुनः प्राप्त करना ही था' |
आगे देश की आर्थिक स्थिति के बारे में स्मिथ ने लिखा है कि "भारतीय संकट की सबसे दुखद स्थिति एक लम्बी सूची के अनुसार भारतीय अकालों की है यह संकट दो वर्षों तक अर्थात् 1555 और 1556 में मुख्य रूप से और दिल्ली क्षेत्रों में बना रहा जहां पर सेनायें जमा की गई, वे बरबादी करने में लगी रहीं
कठिन
चतुर्दिक खतरों से घिरा हुआ यह चित्र था अकबर के राज्यारोहण के समय का । ऐसे समय में अकबर का भारत में टिक सकना प्रतीत होता था । अतः ऐसी परिस्थितियों में यह आवश्यक था कि वह जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए उनके प्रति समान व्यवहार, सहिष्णुता व उदारता की धार्मिक नीति अपनाये ।
सभी
2. साम्राज्य को मजबूत बनाने के लिए सभी जातियों का सहयोग आवश्यक ---
अकबर इस बारीकी को अच्छी तरह समझ गया था कि भारत हिन्दुओं का घर है क्योंकि इतिहास ने यह तथ्य प्रमाणित कर दिया था कि सुल्तानों में वे ही लोग अधिक सफल हुए जिन्होंने यहाँ की सभी जातियों का सहयोग, समर्थन और सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया इसके अलावा अकबर का स्वय का विचार था कि "मुझे इस देश में ईश्वर ने बादशाह बनाकर भेजा है । यदि केवल विजय प्राप्त करना हो तब तो यह होगा कि देश को तलवार के जोर से अपने अधीन कर लिया और देशवासियों को दबाकर उजाड़ डाला जाये, घर में रहने लगू तब यह सम्भव नहीं है कि सारे लाभ और सुख तो मैं और मेरे अमीर भोगें और इस देश के निवासी दुर्दशा सहें और फिर भी मैं आराम से रह सकु । देशवासियों को बिल्कुल नष्ट और नाम शेष कर देना और भी अधिक कठिन है ।
किन्तु जब मैं इसी
अपने विचारों से अकबर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इस्लाम देश का राष्ट्रीय
1. अकबर द ग्रेट
2. वही पृ. 37
3. अकबरी दरबार -- हिन्दी अनुवाद रामचन्द्र वर्मा पहला भाग पु.
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स्मिथ मुगल पु. 31
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