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शाहजहां का सेठ शान्तिदास को फरमान
अबुल मुजफ्फर मुहम्मदशाह बुद्दीन शाहजहां बादशाह गाजी किराने सानी.
अबुल मुहफ्फर मुहम्मद शाहबुद्दीन शाहजहाँ बादशाह-गाजी किराने सानी का फरमान
थे
फरमान
की से भरा हुआ बड़ा हुकुम हुआ है कि पालीताणा, सोरठ (सौराष्ट्र) सरकार के कब्जे का सूबा अहमदाबाद में लगता है उसे शत्रुन्ज्य कहते हैं वह बादशाह जादा मुहम्मद मुराद बख्श (नेकी से भरा, दौलत की आंख का ठण्डक, माथे की बड़ी रोशनाई, राज्य की फुलवाड़ी का उगता हुआ पौधा, नया फल, आंख का नूर, बड़े दर्जे का पेड़ का फल, उच्च कुल का) को जागीर में दिया है उसकी जमा बन्दी दो लाख दाम की है । वो तखाकवि इतनी फसल खरीफ के शुरू से झवेरी शांतिदास को इनाम में अल्तमगा (बख्शीश) के तौर पर लिखकर दिया गया है जिसे कुल के वंशज हाल तथा आइन्दा हमारे बड़े दर्जे का प्रधानों दीवानी खाता के मुत्सद्दियों, हाकिमों, आमीलों, नागीरदारों तथा कटोरिये इस पाक तथा बड़े हुक्म को चालू जारी रखने की कोशिश कर मजबूर, मनुष्य के पेढ़ी दर पेढ़ी तथा कुटुम्बियों के कब्जे में रहने देना और परममा ऊपर के हरेक तरह के कर, हासले बजे, तथा खर्च मान मिलकर दिया है जानना और हर वर्ष इस विषय में कोई भी नया हुक्म अभवा समद मांगना नहीं और इस हुक्म से मुकरना भी नहीं ।
ताo 19 माह रमजान, सन् 31 जुलूसी 1067 ता० 18 माह शाबान शुक्रवार सन् 31 जुलूसी 1067 हिजरी ताo 12 खुरदाद माह इलाही सन् 21, शम्सी के रोज काम चला उसका वर्णन, नबाव शाहजादा मुहम्मद दारा शिकोह के दफ्तर में तथा ॐ चे मुहम्मद काजम मे लिखा है जो दुनियां को कब्जे मैं करने वाले बादशाह का हुक्म हुआ है कि पालीताणा सरकार सोरठ के कब्जे का सूवा अहमदाबाद में लगता है उसे शत्रुज्य कहते हैं उसे बादशाह जादा मुहम्मद मुरादबख्श को जागीर में दिया है जिसकी जमा बन्दी दो लाख दाम की है वा तखाकविइलनी फसल खरीफ के शुरू से झवेरी शांतिदास को अल्तमगा ( बख्शीश ) के तौर पर इनाम में दिया है । दूसरी यदि जो ऊंचे अल्काष का नबाव शाहजादा मुहम्मद मुराद बख्श के दफ्फर में ताo 17 माह शाबान सन् 31 जुलूसी रोज मुंशी शेख मीरक के मार्फत दखल हुआ हैं इस तरह ये लिखने में आया है। पाक अल्काब के नबाव ऊंचे दर्जे का बादशाह जादा मुहम्मदधारा शिकोह के दफ्तर में दाखिल हुआ। मुन्शो मुहम्मद काजम ।
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