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परिशिष्ट 5
विजयदेवसूरिजो का महाराणा जगतसिंह पर प्रभाव
उदयपुर के महाराणा जगतसिंह ने आचार्य विजयदेवसूरिजी के उपदेश से प्रतिकर्ष पौष सुदी दसमी को वरकाना (गोडवाड) तीथं पर होने वाले मेले में आगन्तुक यात्रियों पर टैक्स लेना रोक दिया था और सदैव के लिए इक आज्ञा को एक शिला पर खुदवाकर मन्दिर के दरवाजे के आगे लगवा दिया था; जो कि अभी तक मौजूद है । राणा जगतसिंह के प्रधान झाला कल्याण सिंह के निमन्त्रण पर आचार्य विजयदेवसूरि ने उदयपुर में चातुर्मास किया । चातुर्मास समाप्त होने के समय एक रात दलबादल महल में विश्राम किया । तब महाराणा जगतसिंह सूरिजी को नमस्कार करने गये और सूरिजी के उपदेश से निम्नलिखित चार बातें स्वीकार की1-उदयपुर के पिछोला सरोवर और उदयसागर में मछलियों को कोई
न पकड़े। 2-राज्याभिषेक वाले दिन जीव-हिंसा निषेध । 3-जन्म-मास और भाद्रपद में जीव-हिंसा निषेध । 4-मचिन्द्र दुर्ग पर राणा कुम्भा द्वारा बनवाये गये जैन चैत्यालय का
पुनरुद्धारः
1. इन सब बातों का विवरण विजयदेवसूरि माहात्म्यम, देवानन्द महाकाव्य
एवं दिविजय महाकाव्य में मिलता है ।
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