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मैनरिक जो उस समय भारत में आया उसने यह देखा कि बंगाल में पशु बलि जो कि पवित्र मानी जाती थी शाहजहां द्वारा दण्डनीय अपराध घोषित की गई: 1
जैन धर्म के प्रति बादशाह की नीति की बहुत कुछ झलक मेंडलस्लों के पश्चिमी भारत भ्रमण वृतान्त से मिलती है जो कि शाहजहां के काल में भारत आया । वह लिखता है कि जब मैं अहमदाबाद में पहुंचा तो वहां का गवर्नर औरंगजेब था उसने कट्टर धार्मिक मुस्लिम नेताओं के प्रभाव में आकर सेठ शान्तिदास, जो मुगल दरबार का खास जौहरी था, उन्हीं के द्वारा निर्मित कराया श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर जो सरसपुर मुहल्ले में स्थित था, तुड़वा दिया सेठ शान्तिदास ने आगरा आकर बादशाह से शिकायत की कि मेरा बनवाया हुआ मन्दिर शाहजहां औरंगजेब ने तुड़वाकर उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवा दिया है। मीरा अहमदी कहते हैं कि राजकुमार ने उस मस्जिद का नाम कुवत - उल-इस्लाम रखा । और उस जगह पर गाय मारने का आरोप लगाया । सेठ की फरियाद सुनकर बादशाह में वहाँ का सूबेदार बदल दिया और शान्तिदास को फरमान दिया जिसके परिणामस्वरूप सन् 1648 में शाही गवर्नर तथा अहमदा बाद के अधिकारियों को सम्बोधित किया गया कि राजकुमार औरंगजेब द्वारा निर्मित मस्जिद तथा शेष मन्दिर के बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाये और उस इमारत को सेठ शान्तिदास के सुपुर्द कर दिया जाये ताकि वह अपने धर्मानुसार पूजा कर सके इसके अलावा उन फकीरों को जिन्होंने मन्दिर के अन्दर अपना घर बना लिया हैं, हटा दिये जायें और जो सामग्री मन्दिर से बाहर लें जाई गई हो वह वापिस कर दी जाये ये कीमती और वास्तविक फरमान 50 वर्ष पुराना था जो अहमदाबाद के नगर सेठ के परिवार के मुखिया के afaपत्य में था :
1. रिलिजियस पॉलिसी ऑफ द मुगल एम्बरस - श्रीराम शर्मा पृष्ठ 112 2. मेंडलस्लो ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया पृष्ठ 101-102
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