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________________ ( 98 ) चिमनलाल डाहया भाई ने झफ्ते लेख (हीरविजयसूरि और द जै टीचर्स एट द कोर्ट ऑफ अकबर) में छ: महीने इस प्रकार बताये हैं"पयूषणों के दिन, समस्त रविवार, सोफीयान का दिन, ईद, बादशाह के जर का महीना, मिहिर और नवरोज का दिन, रजवमास, और उसके पुत्रों जन्म विन: इसी लेख में जैन सन्तों के प्रभाव के बारे में आगे लिखते हैं कि-"इसके अलावा गायों, बैलों, भैसों, नर, मावा, दोनों ही प्रकार के जानवरों को कसाईधर नहीं ले जाया जाता था मृतक कर पूर्णतः समाप्त कर दिया, तथा कैदी भी नहीं बनाये जाते थे। मोहनलाल दलीचन्द्र देसाई का कहना है कि "अकबर सत्य का शाधक था। जहां से सत्य मिलता था। वहीं से ग्रहण कर देता था। जैन धर्म में से प्राणी वध त्याग, जीवित प्राणियों के प्रति क्या, मांसाहार, के प्रति अरुचि, पुनर्जन्म की मान्यता, कर्म सिद्धान्त इन वस्तुओं को स्वीकार किया जैव धर्म के तीर्थों को उनके अनुयायियों को सौंप दिया। उनके आचार्यों एवं साधुओं के प्रति उदारता बताई यह जैन सन्तों का ही प्रभाव था कि अकबर ने अपने राज्य में एक वर्ष में छ: महीने, छ: दित तक जीव-हिंसा का निषेध किया था । यद्यपि इन दिनों का ठीक-ठीक गिनती करना कठिन है क्योंकि उनमें कई महीने सुसलमासी त्यौहारों के होने से यह निर्णय होना कठिन है कि उन महीनों के कितने-कितने दिन गिनने चाहिये लेकिन इतना निश्चित है कि जो महोते गिनाये गये हैं उनमें व 1. The days of Rurshanda all sundays, clays of sofiam, Ida equinox, month of his birth, days of Mihira and Navroz month of Rajab and the birth days of his sons. जैन शासन दिवाली अंक, बीर सम्बत् 24३६ पृष्ठ 122 2. More over that cows and bulls and buffaloes, both male and female should never be lad to the house of death, that the whole tax upon the dead should be remitted and that prisoners also should not be made. जैन शासन बिवाली अंक, वीर सम्वत् 2438 पृष्ठ 128 3. जैन साहित्य नो इतिहास-सोहनलाल वलीचरद देसाई पष्ठ 357 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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