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प्राचीन जैन लेख संग्रह में भी ऐसा ही विवरण मिलता है।
कृपारस कोष के रचयिता का कहना हैं कि श्री हीरविजय सूरिश्वर को इस राजा ने जो अमारि शासन, जीवों के वध के निषेध का शाही फरमान दिया है उसके पुण्य का प्रमाण केवल सर्वज्ञ ही जान सकता है और नहीं
हीरसौभाग्यकाव्य में छः महीने अहिंसा पालने के दिन इस प्रकार से गिनाये गये हैं-"प'षणों के दिन, समस्त रविवार, सोफीयान का दिन सूर्य संक्रमण का दिन, बादशाह का जन्म जिस महीने में हुआ वह पूरा महीना, बादशाह के सुत्रों का जन्म दिन, रजवमास, नवरोज का दिन, और बादशाह के गद्दी पर बैठने का दिन गुरूवार
जगद्गुरूहीर में भव्यानन्द जी ने छः महीने इस प्रकार बिताये हैं । "पर्युषण पर्व के 12 दिन, सर्व रविवार के दिन सोफियान एवं ईद के दिन संक्रांति की सर्व तिथियां, अकबर का जन्म का पूरा मास, मिहिर और नवरोज के दिन, सम्राट के तीनों पुत्रों का जन्म मास और रजब (मोहर्रम) के दिन
1. “षाणमासिका यदुक्त्योच्चरमारिपटह पटु"
प्राचीन जैन लेख संग्रह भाग-2 आलेख संख्या 450, पृष्ठ 285 2. श्रीयक्त हीरविजयाभिधसूरिराजां
तेषां विशेषसुकृताय सहायभाजाम् । जन्तुष्वमारिमदिशद्ययं दया
स्तत्पुण्यमानमधिगच्छति सर्ववेदी । कृपारस कोष-शान्तिचन्द्र उपाध्याय श्लोक 123 3. श्रीमत्प!षणादिना रविमिताः सर्वे खेर्वासराः
सोफीयानदिना अपीददिवसाः संक्रांतिघस्त्राः पुनः मासः स्वीयजनेदिनाश्च मिहिरस्यानान्येडपि भूमीन्दुसा
हिन्दुम्लेच्छमहीषु तेन विहिताः कारूण्यपण्यापणा: तेननवरोजदिवसास्तनुजजनू रजबमासद्रिव्वसाश्य । विहिता अमारिसहिताः सलतास्तखो धनेनेव ।। गुरूवचसा नृपदत्ता साधिकषण्मास्यमारिर भवदिति । तनुर्जेरपि दत्ताधिकवृद्धि व्रततिद्भेजे ॥
हीरसौभाग्यकाव्य-देवविमलगणि सर्ग 14, श्लोक 273, 74, 75 __ 4. जगद्गुरूहीन-मुमुछुभव्यानन्दजी पृष्ठ 95
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