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________________ ( 94 ) साधा। उस समय बादशाह के सिवाय मारवाड़ के राजा मालदेव का पुत्र उदय. सिंह, जयपुर के राजा मानसिंह कछवाहा, खानखाना, अबुल फजल, आजमख जालौर का राजा गजनीखां और अन्याय राजा महाराजा एवं राजपुरुष वहाँ उपस्थित थे। इन सबके बीच उन्होंने अष्टावधान साधा था। नन्दिविजयजी का इस प्रकार का बुद्धि कौशल देख कर बादशाह ने उनको "खुश-फहम" की पदवी से विभूषित किया "जैन साहित्यनों इतिहास में भी वर्णन मिलता है कि नन्दिविजयजी के अष्टावधान साधने पर बादशाह ने प्रसन्न होकर "खुश-फहम” नामक पर्द दिया: श्री सेनप्रश्नसार संग्रह में भी इसका विवरण मिलता हैं: नन्दिविजयजी के अष्टावधान साधने का विवरण विजयप्रशस्तिकाव्य में भी है । राजा ने प्रसन्न होकर "खुश फहम" की पदवी दीः' 3. कविवर समय सुन्दरजी ये जिनचन्द्रसरिजी के शिष्य थे। जब अकबर काश्मीर यात्रा के लिए गया तो प्रथम प्रयाण सम्वत् 1649, श्रावण शुक्ला त्रयोदशी (22 जुलाई 1592) को राजा श्री रामदास की वाटिका में किया । उसी शाम वहां एक सभा हुई। जिसमें जिनचन्द्र सुरिजी को अपने शिष्य मण्डल के साथ सम्मानपूर्वक आमन्त्रित किया गया। इस सभा में समयसुन्दरजी ने अपने "अष्टलक्ष्मी" ग्रन्थ को पढ़कर सुनाया। यह ग्रन्थ उन्होंने "राजानो ददते सौख्यम" संस्कृत के इस छोटे से वाक्य पर लिखा था, जिसके आठ लाख अर्थ किये थे जब सम्राट को इस ग्रन्थ निर्माण की सूचना मिली तो उसने इस ग्रन्थ को देखने और सुनने की इच्छा प्रकट की। इस सभा में सम्राट ने कविवर समय सुन्दरजी से इस ग्रन्थ को पढ़कर सुनाने का आग्रह किया । इस अद्भुत ग्रन्थ को सुनकर सम्राट और उपस्थित विद्वानों को बड़ा कौतूहल हुआ । बादशाह ने प्रसन्न होकर इस ग्रन्थ की प्रशंसा की और उसे 1. सूरीश्वर और सम्राट-कृष्णलाल वर्मा द्वारा अनुदित पृष्ठ 160 2. जैन साहित्य नो इतिहास-मोहनलाल दलीचन्द देसाई पृष्ठ 551 3. श्री सेनप्रश्नसार संग्रह-पण्डित शुभविजय गणिविरचित पृष्ठ 19 4. विजयप्रशस्तिकाव्य-पण्डित हेमविजयगणि सर्ग 12, श्लोक 133 34, 35 5. भानुचन्द्रगणिचरित-भूमिका लेखक अगरचन्द, भंवरलाल नाहट पृष्ठ 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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