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________________ ( 81 ) दिचन्द्र जी ने अपनी योग्यता से तीर्य की रक्षा की' जब सलीम गुजरात का वायसराय बना तो अकबर ने उसके कार्यों में दखल बन्द कर दिया, जिसका परिणाम यह हुआ कि वहां अनेक कठिनाइयां पैदा गई (पशु वध और जजिया कर आदि लिये जाने लगे) जब सिद्धिचन्द्र जी के म इस तरह का समाचार आया तो वे सम्राट के पास पहुंचे और संम्राट का तन इस ओर आकर्षित किया कि गुजरात का वायसराय किस निर्दयता से लोगों दबा रहा है जिसे सुनकर सम्राट दुखी हुआ और इनके निषेध के लिए एक खित फरमान दिया । इस तरह से सिद्धचन्द्र जी के प्रयत्नों द्वारा गुजरात के गों को अत्याचारों से मुक्ति मिली बादशाह ने सिद्धिचन्द्रजी के साधू धर्म की परीक्षा के लिये पहले तो धन पत्ति का लोभ दिखाया जब वे लुब्ध न हुए तब उन्हें कत्ल करा देने की धमकी परन्त सिद्धिचन्द्र जी अपने धर्म में अटल रहे उन्होंने लोभ और धमकी का तर जिन शब्दों में दिया उसे कवि ऋषभदास ने लिखा है, "इस का लक्ष्मी का और सुख सामग्रियों का मझे क्या लोभ दिखाते हो, अगर आप रा राज्य देने को तैयार होंगे तो भी मैं लेने को तैयार न होऊंगा मको तुच्छ हेय समझकर छोड़ दिया उसे पुनः ग्रहण करना थूके को निगलना इन्सान ऐसा नहीं कर सकता और मौत का डर तो मुझे अपने चरित्र से डिगा सकता। आज या दस दिन बाद नष्ट होने वाला यह शरीर मुझे से बढ़कर प्यारा नहीं हैं सिद्धिचन्द्र जी के उत्तर से बादशाह बहुत प्रभावित इस तरह सिद्धिचन्द्र जी ने बादशाह को बहुत प्रभावित किया क्योंकि बे होने के साथ-साथ शतावधानी भी थे इसलिए बादशाह उनसे बहुत प्रसन्न था, इन्होंने वाण भट्ट की कादम्बरी (उत्तरार्ध) की टीक है उनकी योग्यता से होकर ही बादशाह ने उन्हें खुशफहम (तीव्र बुद्धि का व्यक्ति) की पदवी से षत किय. बादशाह अकबर के समय में ये 'गणि' थे इन्हें बादशाह जहांगीर मय में 'उपाध्याय' पद दिया गया। 1. भानुचन्द्र गणिचरित-भूमिका लेखक अगरचन्द्र भंवरलाल नाहटा पेज 46 2. वही पेज 46-47 3. हीरविजयमूरिरास-पण्डित ऋषभदास पृष्ठ 85-86 4. सूरीश्वर और सम्राट पेज 157, भानुचन्द्रगणिचरित पेज 9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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