________________
( 71 )
जगत प्रसिद्ध जो-जो कार्य हुए उन सब का कारण यहीं ग्रन्थ ( कृपारस है
बादशाह जब लाहौर में था तब शान्तिचन्द्र जी भी वहीं थे “ईद” स्योहार एक दिन पहले वे बादशाह के पास गये और वहाँ से बिहार करने की इजाजत [गी बादशाह द्वारा कारण पूछे जाने पर शान्तिचन्द्र जी से कहा कि कल "ई" दिन लाखों जीवों का वध होगा जिसका ऋदन सुन नहीं सकूंगा, इसलिए मैं ना चाहता हूं। साथ ही अवसर का लाभ उठाते हुए शान्तिचन्द्र जी ने उसी समय बादशाह को कुरान शरीफ की कई आयतें ऐसी बताई जिनका अभिप्राय था हर जीव पर दया रखनी चाहिये ।
शान्तिचन्द्र जी ने बताया कि बकरा ईद तथा ऐसे ही अन्य प्रसंगों में प्राणियों की हिंसा करना खुदा के फरमान के बिल्कुल विपरीत है। कुरान शरीफ मैं ऐसा वर्णन हैं कि खुदा सभी जीवों का जन्मदाता है, जो जन्म देता है वह अपनी ही आज्ञा से क्यों मस्वायेगा ? खुदा ने तो सब जीवों पर रहम रखने का फिर्मान दिया है जैसा कि कुरान शरीफ के शुरू में ही कहा गया है कि बिस्मिल्लाह रहिमान्नुर रहीम" जिसका तात्पर्य है कि सब जीवों पर रहम खो ।
यदि जीवों की कुर्बानी उचित होती तो धर्म स्थानों और तीर्थ स्थानों में उसकी मनाही की जाती ? कुरान शरीफ में कहा गया हैं कि "मक्का में की हद तक किसी को किसी जानवर को नहीं मारना चाहिये और अगर कोई भूल से मारे, तो उसके बदले में अपना पाला हुआ जानवर छोड़ना चाहिए; थवा दो समझदार मनुष्य जो उसकी कीमत ठहरावें, उतनी कीमत का खाना रीबों को खिलाया जाये ।
1. बज्जीजिआकर निवारण मेष चक्रे
या मुक्ति दुर्दमदरले वः । यद्धन्दिन्धन महाकुरुते कृपाडणे ।
यह करोत्यवमराज यमो यतीन्दान ॥26॥ बज्जन्तुजातमभवं प्रतिभाषटक
यच्चाजनिष्ट विभयः सुरभीसमूहः । इत्यादिशासन मुर्तिकारणेषु ।
ग्रन्थोडयमेव भषति स्म परं निमित्रम् 112711 पारस कोष उपाध्याय शान्तिचन्द्र जी श्लोक 126-27
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org