________________
श्रमण संस्कृति का अहिंसा दर्शन एवं विश्वधर्म-समन्वय हैं-मैं अपने पेट को दूसरे जीवों का कब्रिस्तान बनाना नहीं चाहता। जिसने किसी की जान बचाई-उसने मानों सारे इन्सानों को जिन्दगी
बख्शी ।३१
___ उपर्युक्त उदाहरणों से यही प्रतिभासित होता है कि इस्लाम धर्म भी अमुक अंश में अपने साथ अहिंसा की दृष्टि को लेकर चला है । ईसाईधर्म में अहिंसा-भावना : ___ महात्मा ईसा ने कहा है कि-"तू तलवार म्यान में रख ले, क्योंकि जो लोग तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से ही नाश किये जायंगे।" ३२ अन्यत्र भी बतलाया है- तुम अपने दुश्मन को भी प्यार करो और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए भी प्रार्थना करो। यदि तुम उन्हीं से प्रेम करो, जो तुमसे प्रेम करते हैं, तो तुमने कौन मार्के की बात की?" 3 3 इतना ही नहीं, वरन अहिंसा का वह पैगाम तो काफी गहरी उड़ान भर बैठा है। - अपने शत्रु से प्रेम रखो, जो तुमसे वैर करें उनका भी भला सोचो और करो। जो तुम्हें शाप दें उन्हें आशीर्वाद दो। जो तुम्हारा अपमान करे, उसके लिए प्रार्थना करो। जो तुन्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दो। जो तुम्हारी चादर छीन ले, उसे अपना कुरता भी ले लेने दो । ३४ ईसा का यह संदेश अहिंसा का कितना बड़ा उदा
हरण है !
यहूदीधर्म में अहिंसा-भावना :
यहूदी मत में कहा गया है कि-किसी आदमी के आत्म-सम्मान को चोट नहीं पहुँचानी चाहिए। लोगों के सामने किसी आदमी को अपमानित करना उतना ही बड़ा पाप है, जितना उसका खून कर देना।३५
३१. व मन् अहया हा फकअन्नया अह्यन्नास जमीअनः ।
-कुरान शरीफ ५।३५ ३२. मत्ती।
-२१५११५२ ३३. मत्ती
-५॥४५॥४६ ३४. लूका
-६।२७१३७ ३५. ता० बाबा मेतलिगा,
तालया-५८ (ब)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org