SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२ श्रमण संस्कृति : सिद्धान्त और साधना सर्जना हुई है, वह सब इन्हीं सिद्धान्तों के प्रतिपादन रूप में हुई है। चूँकि जैन धर्म का मूल साहित्य प्राकृत (अर्ध मागधी) भाषा अथवा अपभ्रंश भाषा में विशेष रूप से प्राप्त है, अतः उसका हिन्दी में प्रचुर परिमाण में अनुवाद भिन्न-भिन्न मुनियों एवं साहित्यकारों द्वारा हुआ। अतः जैनधम सम्बन्धी हिन्दी में जितने बड़े परिमाण में अनूदित साहित्य पाया जाता है, मौलिक साहित्य उतने परिमाण में नहीं पाया जाता। जैन साहित्य के अन्तर्गत पुराण साहित्य, चरित काव्य, कथा काव्य एवं रहस्यवादी काव्य सभी लिखे गये। इनके अतिरिक्त व्याकरण, कोष, शृगार, शौर्य, नीति तथा अन्योक्तिपरक फुटकर काव्यकृतियाँ भी देखने को मिलती हैं । स्वयंभूदेव-(आठवीं शती) हिन्दी जैन कवियों में सर्वप्रथम नाम स्वयंभूदेव का आता है। इन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ पउमचरिउ में अपभ्रंश भाषा के ऐसे रूप का प्रयोग किया है, जिससे हिन्दी का प्राचीन रूप इंगित होता है । इनकी प्रमुख कृतियाँ निम्न हैं । १. पउम चरिउ (पद्म चरित्र-जैन रामायण ) २. रिटणेमि चरिउ (अरिष्टनेमि चरित्र-हरिवंशपुराण) ३. पंचमि चरिउ ( नागकुमार चरित ) और ४. स्वयंभूछन्द आचार्य देवसेन--आचार्य देवसेन जैनधर्म के दिगम्बर शाखा के कवि थे । इन्होंने जैन धर्म के सिद्धान्तों का बड़ा विशद विवेचन किया है। उनका प्रमुख ग्रन्थ 'नयचक्र' है। इसके अतिरिक्त दर्शनसार भावसंग्रह, आराधनासार, तत्त्वसार, सावयधम्म दोहा उनकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं। महाकवि पुष्पदंत-(दशवीं शती) ये काश्यप गोत्रीय ब्राह्मण थे और शिवजी के भक्त थे, किन्तु बाद में जैन हो गये थे। ये जैन साहित्य के अत्यन्त प्रसिद्ध महाकवि थे। 'णायकुमार चरिउ' (नागकुमार चरित) इनका प्रसिद्ध ग्रंथ है। इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं : १. तिसट्ठि महापुरिस गुणालंकार (त्रिषष्टि महापुरुष गुणालंकार) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003192
Book TitleShraman Sanskruti Siddhant aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalakumar
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1971
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy