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श्रमण संस्कृति : सिद्धान्त और साधना
मलाहिन के पुत्र व्यास महान् ऋषि कहलाए। पथिकों को लूटने वाला बाल्या डाकू बाल्मीकि ऋषि बना। ___मानवता का सही निर्माण करके मानव जाति को सम्पन्न बनाने का ही अनेक द्रष्टाओं का उद्देश्य रहा है। लेकिन उनके स्वार्थी अनुयायियों ने जन्म पर ही जाति धर्म को निर्भरित समझ कर आपस में द्वेषभाव का निर्माण किया । धर्म के नाम पर मानवी रक्त की नदियाँ बहायी गईं और आज भी बह रही हैं । ऐसी स्थिति मानवों में सच्ची मानवता का निर्माण करने के लिए निम्नलिखित वचन को मन-वचनकाया से अङ्गीकार करना होगा :
"वास्तविक वैर से वैर कभी नहीं बुझता, प्रेम से ही शान्त होता है। यही शाश्वत धर्म है।"3६
-डा. माधव श्री रणदिवे
३६. धम्मपद ७-५ ।
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