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भ. महावीर और बुद्ध के पारिपाश्विक भिक्षु-भिक्षुणियाँ
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केशा, भद्रा कापिलायनो आदि अन्य अनेक भिक्षणियाँ बौद्ध धमसंघ में सुविख्यात रही हैं। बुद्ध ने 'एतदग्ग वग्ग' २४ में अपने इकतालीस भिक्षओं तथा बारह भिक्षणिओं को नाम-ग्राह अभिनन्दित किया है । तथा पृथक्-पृथक् भिक्षु-भिक्षुणियों को अग्रगण्य बताया है। भिक्षुओं में अग्रगण्य :
वे कहते हैं : १.भिक्षुओ ! मेरे अनुरक्तज्ञ भिक्षुओं में आज्ञाकौण्डिन्य २५ अग्रगण्य हैं। २......... महाप्राज्ञों में सारिपुत्र २६....। ३......"ऋद्धिमानों में महामौद्गल्यायन २७...।
..... धुतवादियों (त्यागियों) में महाकाश्यप २८....। ५..........."दिव्यचक्षओं में अनुरुद्ध २९....।
.........."उच्चकुलीनों में भद्दिय कालिगोधा-पुत्र ३०...। ७.........."कोमल स्वर से उपदेष्टाओं में लकुण्टक भद्दिय३१...। ८..........."सिंहानादियों में पिण्डोल भारद्वाज3 २....।
........"धर्मकथिकों में पूर्ण मैत्रायिणी-पुत्र 33...। १०........व्याख्याकारों में महाकात्यायन ३४...। ११. मनोगत रूप निर्माताओं व चित्त-विवर्त-चतुरों में चुल्ल पंथक । १२."संज्ञा-विवर्त-चतुरों में महापन्थक3 ६...।
२४. अंगुत्तरनिकाय, एककनिपात, १४ के आधार से । २५. शाक्य, कपिलवस्तु के समीप द्रोण-वस्तु ग्राम, ब्राह्मण ।। २६. मगध, राजगृह से अविदूर उपतिष्य (नालक) ग्राम, ब्राह्मण । २७. मगध, राजगृह से अविदूर कोलित ग्राम, ब्राह्मण । २८. मगध, महातीर्थ ब्राह्मण ग्राम, ब्राह्मण ।। २६. शाक्य, कपिलवस्तु, क्षत्रिय बुद्ध के चाचा अमृतौदन शाक्य के पुत्र । ३०. शाक्य, कपिलवस्तु, क्षत्रिय । ३१. कौशल, श्रावस्ती, धनी (महाभोग)। ३२. मगध, राजगृह, ब्राह्मण । .. ३३. शाक्य, कपिलवस्तु के समीप द्रोण-वस्तु ग्राम, ब्राह्मण । ३४. अवन्ती, उज्जयिनी, ब्राह्मण । ३५. मगध, राजगृह, श्रेष्ठि-कन्या-पुत्र । ३६. वही ।
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