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कर्मवाद : पर्यवेक्षण
(४) शरीर-अंगोपाङ्ग नाम -शरीर के अवयवों और प्रत्यवयवों का निमित्तभूत कर्म। इसके तीन उपभेद हैं -(क) औदारिक शरीर अंगोपाङ्ग नाम । (ख) वैक्रिय-शरीर अंगोपाङ्ग नाम, (ग) आहारकशरीर अंगोपाङ्ग नाम । तैजस् और कार्मणशरीर के अवयव नहीं होते। __ (५) शरीरबन्धन नाम-पूर्व में ग्रहण किये हुए और वर्तमान में ग्रहण किये जाने वाले शरीरपुद्गलों के परस्पर सम्बन्ध का निमित्तभूत कर्म। इसके पाँच उपभेद हैं—(क) औदारिक शरीर बन्धन नाम, (ख) वैक्रियशरीर बन्धननाम, (ग) आहारक शरीर बन्धन नाम, (घ) तैजसशरीर बन्धन नाम, (ङ) कार्मण शरीर बन्धन नाम ।
शरीर बन्धन नाम कर्म के कर्मग्रन्थ में विस्तार को विवक्षा से पन्द्रह भेद भी किये हैं :
(१) औदारिक-औदारिक बन्धन नाम । (२) औदारिक-तैजस बन्धन नाम । (३) औदारिक-कार्मणबन्धननाम । (४) वैक्रिय-वैक्रियबन्धननाम। (५) वैक्रिय-तैजसबन्धननाम । (६) वैक्रिय-कामरणबन्धननाम । (७) आहारक-याहारकबन्धननाम । (८) आहारक-तैजसबन्धननाम । (8) आहारक-कामरणबन्धननाम । (१०) औदारिक-तैजस कार्मण बन्धन नाम । (११) वैक्रिय-तैजस कार्मण बन्धन नाम । (१२) आहारक-तैजसकार्मण बन्धन नाम । (१३) तैजस-तेजस बन्धन नाम । (१४) तेजस-कार्मणबन्धननाम । (१५) कार्मरण-कार्मणबन्धन नाम ।
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