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धर्म और दर्शन
मुझे किसको दान दे रहे हैं ? पिता मौन रहे। उसने पुनः वही प्रश्न दोहराया, फिर भी पिता का मौन भंग नहीं हमा। तृतीय बार कहने पर पिता को क्रोध आ गया और उसने झुंझला कर कहाजा तुझे यमराज को दिया। बालक नचिकेता यम के घर पहुंचा। यमराज घर पर नहीं थे। वह भूखा और प्यासा तीन दिन तक यमराज के द्वार पर बैठकर उनकी प्रतीक्षा करता रहा। यमराज
आये। बालक की भद्रता पर वे मुग्ध हो गये । तीन वर मांगने के लिए कहा। नचिकेता ने तीसरा वर माँगा- मृत्यु के पश्चात् कुछ कहते हैं मानव की आत्मा का अस्तित्व है, कुछ कहते हैं नहीं है, सत्य तथ्य क्या है ; यह आप मुझे बतायें-यही मेरा तृतीय वर है ।
यमराज ने अन्य वर माँगने की प्रेरणा दी, पर नचिकेता अपने कथन से तनिक भी विचलित नहीं हुआ । उसने कहा-मुझे वही विधि बताइये, जिससे अमरता प्राप्त हो। यमराज ने कहा-त इस
आत्म-विद्या के लिए प्राग्रह न कर, इसका ज्ञान होना साधारण बात नहीं है। देवता भी इस विषय में सन्देहशील रहे हैं ।५२ पर नचिकेता की तीव्र जिज्ञासा से यमराज ने प्रसन्न होकर आत्मसिद्धि का सूक्ष्म रहस्य उसे बताया। आत्म-विद्या व योगविधि को पाकर नचिकेता को ब्रह्मानन्द अनुभव हुआ । उसका राग-द्वेष नष्ट हो गया। इसी प्रकार जो आत्म-तत्त्व को पाकर आचरण करेंगे वे भी अमरता को प्राप्त करेंगे।
५१. येयं प्रेते विचिकित्सा मनुष्ये,
__ अस्तीत्येके नायमस्तीति चैके । एतद्विद्यामनुशिष्टस्त्वयाहं वराणामेष वरस्तृतीयः ।।
-कठोपनिषत् १-२० ५२. देवैरत्रापि विचिकित्सितं पुरा, नहि सुविज्ञेयं अणुरेष धर्मः ।
-कठोपनिषत् ११२१ ५३. मृत्युप्रोक्तां नचिकेतोऽथ लब्ध्वा,
विद्यामेतां योगविधिं च कृत्स्नम् ।
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