________________
११४
धर्म और दर्शन
प्राप्त होगी, जो आक्सीजन और हाइड्रोजन के नाम से पहचानी जाती है । १६
वैज्ञानिक अनुसन्धान के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि पुद्गल शक्ति में और शक्ति पुद्गल में परिवर्तित हो सकती है ।" सापेक्षवाद की दृष्टि से पुद्गल के स्थायित्व के नियम व शक्ति के स्थायित्व के नियम को एक ही नियम में समाविष्ट कर देना चाहिए। उसकी संज्ञा 'पुद्गल और शक्ति के स्थायित्व का नियम' इस प्रकार कर देनी चाहिए । १८
स्याद्वाद की दृष्टि से सत् कभी विनष्ट नहीं होता और असत् की कभी उत्पत्ति नहीं होती " । ऐसी कोई स्थिति नहीं जिसके साथ उत्पाद और विनाश न रहा हो अर्थात् जिनकी पृष्ठ भूमि में स्थिति है उनका उत्पाद और विनाश अवश्य होता है ।
सभी द्रव्य उभय-स्वभावी हैं। उनके स्वभाव की विवेचना एक ही प्रकार की नहीं हो सकती । असत् की उत्पत्ति नहीं होती और सत् का कभी नाश नहीं होता । इस द्रव्य नयात्मक सिद्धान्त से द्रव्यों की ही विवेचना हो सकती है, पर्यायों की नहीं। उनकी विवेचनाअसत् की उत्पत्ति और सत् का विनाश होता है - इस पर्यायनयात्मक सिद्धान्त के द्वारा ही की जा सकती है। इन दोनों को एक शब्द में परिणामी - नित्यवाद या नित्यानित्यवाद कहा जा सकता है । इसमें स्थायित्व र परिवर्तन की सापेक्ष रूप से विवेचना है । इस विश्व में ऐसा द्रव्य नहीं जो सर्वथा ध्रुव हो, और ऐसा भी द्रव्य नहीं है जो सर्वथा परिवर्तनशील ही हो । दीपक, जो परिवर्तनशील है, वह भी स्थायी है और जीव जो स्थायी है, वह भी परिवर्तनशील है । स्थायित्व
१७. General Chemistry by finus Pauling P P. 4-5 १८. General and Inorganic Chemistry for by P. J.
durrant 18.
भावस्स णत्थि
१६.
Jain Education International
नासो,
णत्थि अभावस्स उप्पादो ।
For Private & Personal Use Only
- पंचास्तिकाय, १५
www.jainelibrary.org