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जैन आगमों की कथाएँ
अध्यात्म और विज्ञा न
अतीत काल से ही मानव जीवन के साथ अध्यात्म और विज्ञान का अत्यन्त गहरा सम्बन्ध रहा है । ये दोनों सत्य के अन्तस्तल को समुद्घाटित करने वाली दिव्य और भव्य दृष्टियाँ हैं । अध्यात्म आत्मा का विज्ञान है । वह आत्मा के शुद्ध और अशुद्ध स्वरूप का, बन्ध और मोक्ष का, शुभ और अशुभ परिणतियों का, ह्रास और विकास का गम्भीर व गहन विश्लेषण है तो विज्ञान भौतिक प्रकृति की गुरु गम्भीर ग्रन्थियों को सुलझाने का महत्त्वपूर्ण साधन है। उसने मानव के तन, मन और इन्द्रियों के संरक्षण व सम्पोषण के लिये विविध आयाम उपस्थित किये हैं । जीवन की अखण्ड सत्ता के साथ दोनों का मधुर सम्बन्ध है । अध्यात्म जीवन की अन्तरंग धारा का प्रतिनिधित्व करता है तो विज्ञान बहिरंग धारा का नेतृत्व करता है ।
खण्ड : २
अध्यात्म का विषय है - जन-जीवन के अन्तःकरण, अन्तश्चैतन्य एवं आत्मतत्त्व का विवेचन व विश्लेषण करना । आत्मा के विशोधन व ऊर्ध्वोकरण करने की प्रक्रिया प्रस्तुत करना । जीव और जगत्, आत्मा और परमात्मा, व्यक्ति और समाज प्रभृति के शाश्वत तथ्यपरक सत्य का दिग्दर्शन करना । जबकि विज्ञान का क्षेत्र है प्रकृति के अणु से लेकर ब्रह्माण्ड तक का प्रयोगात्मक अनुसन्धान करना । अध्यात्म योग है तो विज्ञान प्रयोग है । अध्यात्म मन, वचन और काया की प्रशस्त शक्तियों को केन्द्रित
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विशेष - यह बृहद् निबन्ध धर्मकथानुयोग की प्रस्तावना के रूप में लिखा गया था जो उस ग्रन्थ के साथ प्रकाशित हो चुका है ।
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