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जैन कथा साहित्य की विकास यात्रा
हिन्दी की इन कथाओं के पीछे एक पवित्र प्रयोजन समाविष्ट है कि श्रोताओं और पाठकों की शुभवृत्तियाँ जागृत हों, असद्कर्म से निवृत्त होकर शुभकर्म-प्रवृत्ति की प्रेरणा प्राप्त हो, कथा-रचना में ऐसा उच्च एवं उदात्त आदर्श जैन कथा वाङमय की अपनी विशिष्टता है । साधारणतया कथा का प्रयोजन मनोरंजन होता है, पर जैनकथा के विषय में यह अधिकारपूर्वक कहा जा सकता है कि उसका प्रयोजन मनोरंजन मात्र नहीं है, किन्तु मनोरंजन के साथ किसी उच्च आदर्श की स्थापना करना, अशुभकर्मों का कटफल-परिणाम बताकर शुभकर्म की ओर प्रेरित करना रहा है। उच्चतर सामाजिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की प्रतिष्ठा करना, व्यक्तित्व के मूलभूत गुण-साहस, अनुशासन, चातुरी, सज्जनता, सदाचार एवं व्रतनिष्ठा आदि को प्रोत्साहित करना तथा उनके चरित्र में उन सस्कारों को बद्धमूल करना-यही जैन कथा साहित्य का मूल प्रयोजन है। आगम साहित्य के बाद जो कथा साहित्य रचा गया, उसकी धारा में एक नया परिवर्तन आया। आगमगत कथाओं, चरित्रों और महापुरुषों के छोटे-मोटे जीवन प्रसंगों को लेकर मूल कथा में अवान्तर कथाओं का संयोजन तथा मूल चरित्र को पूर्वजन्मों की घटनाओं से समद्ध कर कथावस्तु का विकास और विस्तार करना यह पश्चात्वर्ती कथा साहित्य की एक शैली बन गई।
प्राकृत, संस्कृत और अपभ्रंश से होती हुई यह जैन कथाओं की विकास यात्रा हिन्दी के कथाभंडार की अभिवृद्धि करती है, अपनी मंजिल तय करती है । परम्पराओं की भिन्नता, अनुश्र तियों का अन्तर एवं समय के दीर्घ व्यवधान के कारण कथासूत्रों में परस्पर भिन्नता और घटनाओं का जोड़-तोड़ भी काफी भिन्न हो गया । अनेक कथाएँ तो ऐसी हैं जो बड़ी प्रसिद्ध होते हुए भी-कथा-ग्रंथों में बड़ी भिन्नता लिए रहती हैं । आगमों में वर्णित कुछ कथाओं में, पश्चात्वर्ती साहित्य में अवान्तर कथाएँ जोड़कर उन्हें व्यापक-विस्तृत कर दिया गया है।
कथा सूत्रों की इस विविधता को देखकर यह प्रयत्न करना कि कथा का मूल स्रोत कहाँ है, कैसा है, उसमें जो मतभेद या अवान्तर कथाएँ हैं वे मान्य हैं या नहीं-यह कार्य सिर्फ जलमंथन जैसा ही होगा । कथाओं की ऐतिहासिकता की खोज के बजाय हमारा लक्ष्य उनकी प्रेरकता की ओर रहना चाहिए । हजारों लेखकों ने भिन्न-भिन्न देशकाल में जो कथाग्रन्थ रचे हैं उनमें मत-भिन्नता, कथासूत्र का जोड़-तोड़ भिन्न प्रकार का, नाम आदि की भिन्नता होना सहज ही है । अनेक कथा-ग्रन्थों के पर्यवलोकन से
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