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________________ प्राकृत जैन कथा साहित्य २५ कहा और अन्तिम भविसयत्तव हा महत्वपूर्ण है । महेश्वरसूरि प्रत्येक कथा में कथा कहने के साथ ही साथ उपदेश को समावेश करते चलते हैं । नर्मदा सुन्दरी' के रचयिता महेन्द्रसूरि हैं । उन्होंने प्रस्तुत कथा की रचना ११८७ में की थी । कथा सम्यक् प्रकार से गठी हुई है । कुतूहल आदि से अन्त तक बना रहता है । महेश्वरदत्त का नर्मदासुन्दरी के सौन्दर्य पर मुग्ध होकर उससे विवाह करना, फिर किसी आशंका से उसका परित्याग कर देना, हरिणी वेश्या के अत्याचार के बावजूद नर्मदा का शील में दृढ़ रहना और बुद्धि चातुर्य से किसी प्रकार बब्बर के राजा के चंगुल से मुक्त होना आदि घटनाएँ कथा में अत्यन्त रोचकता उत्पन्न करती हैं । 'प्राकृत कथा संग्रह' में बारह कथाओं का सुन्दर संकलन हुआ है । लेखक का नाम अज्ञात है । दान, शील, तप, भावना, सम्यक्त्व, नमस्कार महामन्त्र प्रभृति विषयों का कथा के माध्यम से विश्लेषण किया गया है । मानवीय भावनाओं का सरस व सूक्ष्म चित्रण किया गया है। जैसे - एक कृपण श्रेष्ठि है, पास में अपार सम्पत्ति है, पर कृपणता के कारण पुत्र को पान खाते देखकर अत्यधिक दुःखी होता है पुत्र उत्पन्न होने पर पत्नी को भोजन देने में भी कंजूसी करता है । । सिरिवालकहा का संकलन रत्नशेखर सूरि ने किया है । संकलन समय सं० १४२८ है । आधुनिक उपन्यास के सभी गुण प्रस्तुत कथानक में विद्यमान हैं । पात्रों के चरित्र का उत्थान और पतन, कथा में अनेक तरह के मोड़, सरसता एवं मनोरंजकता आदि सभी गुण उसमें हैं । जो पात्र सद्गुणों को स्वीकार करते हैं उनका शुक्ल पक्ष के चन्द्र की तरह विकास होता है और जो दुर्गुणों से, वासनाओं से ग्रसित होते हैं उनका विनाश होता है । सिद्धचक्र के माहात्म्य को प्रदर्शित करने के लिए कथा का गुम्फन किया गया है जो पूर्ण रीति से सफल हुआ है । १. नम्मयासुन्दरीकहा, सिंघी ग्रन्थमाला ग्रन्थांक ४८ में प्रकाशित । २. सिरिवज्जसेण गणहरपट्टपद हेमतिलय सूरीणं । सीसेहिं रयण से हरसूरीहिं इमाहु संकलिया | चउदस अट्ठावीसो" 11 Jain Education International ****** - सिरिवालकहा प्रशस्ति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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