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आगमोत्तरकालीन कथा साहित्य
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नये आ गये हैं। और, कुछ प्राचीन जातक इसमें नहीं आ पाये हैं। तथापि यह जातक साहित्य, उपदेशपूर्ण और मनोरंजक है । जैन आख्यान/कथा साहित्य
प्राचीन जैन आगमों में कथा-साहित्य का भण्डार भरा पड़ा है। 'आचारांग' में, महावीर की जीवन-गाथा है, तो 'कल्पसूत्र' में तीर्थंकरों की जीवनियों की संक्षिप्त झाँकी है। 'नायाधम्मकहाओ' के प्रथम श्रतस्कन्ध के उन्नीस अध्ययनों में, और दूसरे श्र तस्कन्ध के दस वर्गों में अनेकों मनोहारी और उपदेशात्मक कथाओं का चित्रण है। शिष्यों के प्रश्नों के उतररूप में, वीर जीवन की झांकी 'भगवती' के संवादों में प्रस्तुत की गई है। 'सूत्रकृतांग' के छठे व सातवें अध्ययनों में, आद्रककुमार के गोशालक और वेदान्तियों के साथ सम्बादों का, तथा पेढालपुत्र उदक के साथ गणधर गौतम के सम्वादों का उल्लेख है। इसी के द्वितीय खण्ड के प्रथम अध्ययन में, पुण्डरीक का दृष्टान्त महत्वपूर्ण है । 'उत्तराध्ययन' में भी जो अनेकों भावपूर्ण व शिक्षाप्रद आख्यान आये हैं, उनमें, नेमिनाथ की जीवनगाथा का प्रथम उल्लेख, विशेष महत्व का है। श्रीकृष्ण, अरिष्टनेमि, और राजीमती की कथाएं तथा कपिल का आख्यान भी आकर्षक एवं मनोहारी है । इसी के चोर, गाड़ीवान, तीन व्यापारियों के दृष्टान्त तथा हरिकेश -ब्राह्मण, पुरोहित और उसके पुत्र,' पार्श्वनाथ और महावीर के शिष्यों के सम्वाद, विशेष उल्लेखनीय हैं।
आनन्द, कामदेव, चुलनीपिता, सुरादेव, चुल्लशतक, कुण्डकौलिक, सद्दालपुत्र, महाशतक, नन्दिनीपिता; और शालिहीपिता इन दस श्रावकों का जीवन चित्र, 'उपासकदशांग' के दस आख्यानों में चित्रित है। इन्होंने, संसार का परित्याग सर्वांशतः नहीं किया था, फिर भी, वे मोक्षप्राप्ति के लिए सतत प्रयत्नशील बने रहे । इनके जीवन-चरितों का यही वैशिष्ट्य रहा है।
१ हिस्ट्री ऑफ इण्डियन लिट्रेचर-डा. विन्टरनित्ज, वॉ. II, पृष्ठ-१२४,
फटनोट १ २ वही-पृष्ठ-११५, फुटनोट ४ ३ उत्तराध्ययन सूत्र-अध्य० २१,
४ वही-अध्ययन-२७ ५ वही-अध्ययन-२१,
६ वही-अध्ययन-१२ ७ वही-अध्ययन-१२
८ वही-अध्ययन-२३
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