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________________ प्राकृत जैन कथा साहित्य कथा-कहानी साहित्य की एक प्रमुख विधा है, जो सबसे अधिक लोकप्रिय और मनमोहक है । कला के क्षेत्र में कहानी से बढ़कर अभिव्यक्ति का इतना सुन्दर एवं सरस साधन अन्य नहीं है । कहानी विश्व की सर्वोत्कृष्ट काव्य की जननी है और संसार का सर्वश्रेष्ठ सरस साहित्य है। कहानी के प्रति मानव का सहज व स्वाभाविक आकर्षण है । फलतया जीवन का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं जिसमें कहानी की मधुरिमा अभिव्यजित न हई हो । सच तो यह है कि मानव का जीवन भी एक कहानी है जिसका प्रारम्भ जन्म के साथ होता है और मृत्यु के साथ अवसान होता है । कहानी कहने और सुनने की अभीप्सा मानव में आदिकाल से रही है । वेद, उपनिषद्, महाभारत, आगम और त्रिपिटक की हजारों लाखों कहानियाँ इस बात की साक्षी हैं कि मानव कितने चाव से कहानी को कहता व सुनता आया है और उसके माध्यम से धर्म और दर्शन, नीति और सदाचार, बौद्धिक-चतुराई और प्रबल पराक्रम, परिवार और समाज सम्बन्धी गहन समस्याओं को सुन्दर रीति से सुलझाता रहा है । ___ श्रमण भगवान् महावीर जहाँ धर्म-दर्शन व अध्यात्म के गम्भीर प्ररूपक थे, वहाँ एक सफल कथाकार भी थे । वे अपने प्रवचनों में जहाँ दार्शनिक विषयों की गम्भीर चर्चा-वार्ता करते थे वहाँ लघु रूपकों एवं कथाओं का भी प्रयोग करते थे। प्राचीन निर्देशिका से परिज्ञात होता है कि नायाधम्मकहा में किसी समय भगवान महावीर द्वारा कथित हजारों १. साहित्य और संस्कृति, देवेन्द्र मुनि शास्त्री, पृष्ठ ७६-८८ । २. देखें-जैन आगमों की कथाएँ : एक समीक्षात्मक अध्ययन, इसी ग्रन्थ का द्वितीय अध्याय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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