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________________ विविध कथाएँ २८७ जैन और बौद्ध दोनों परम्पराओं में कूणिक की माता का नाम अलग-अलग मिलता है। जातक की दृष्टि से कोशलदेवी कौशल के अधिपति 'महाकौशल' की पुत्री थी और 'प्रसेनजित' की बहिन थी। विवाह के सुनहरे अवसर पर काशी का एक ग्राम उसे दहेज के रूप में दिया गया था। किन्तु जब बिम्बसार का वध कूणिक के द्वारा किया गया तो प्रसेनजित ने वह ग्राम पुनः ले लिया। अजातशत्र प्रसेनजित का भानजा था, इसलिए युद्ध के मैदान में उन्होंने उसको नहीं मारा तथा अपनी पुत्री 'वजिरा' का पाणिग्रहण अजातशत्रु के साथ कर दिया और ग्राम पुनः कन्यादान के रूप में अजातशत्रु को दे दिया । संयुक्तनिकाय में अजातशत्रु को 'प्रसेनजित' का भानजा और 'विदेहीपुत्र' ये दोनों कहे गये हैं 13 किन्तु गहराई से चिन्तन करने पर इन दोनों नामों में संगति का अभाव है। आचार्य बुद्धघोष ने 'विदेही' का अर्थ विदेह देश की राजकन्या न कर पण्डिता' किया है। जैन दृष्टि से चेलना वैशाली गणतन्त्र के अध्यक्ष चेटक की कन्या थी, इसलिए वह 'वैदेही' थी। सम्भव है, प्रसेनजित की बहिन कोशलदेवी अजातशत्रु की कोई विमाता रही हो । तिब्बती परम्परा तथा 'अमितायुान सूत्र में 'वैदेही वासवी' यह उसकी माँ का नाम आया है और उसका कारण विदेह देश की राजकन्या बताया है। जैन आगम साहित्य में कूणिक के लिए 'विदेहपुत्र' शब्द व्यवहृत हुआ है। 'राईस डेविड्स' के अभिमतानुसार बिम्बसार राजा की दो रानियाँ थीं-एक प्रसेनजित की बहिन कोशलदेवी और दूसरी विदेह कन्या। विदेह कन्या का पुत्र 'अजातशत्रु' था ।10 १ Jataka, Ed. by Fausboll, Vol. III, p. 121. २ जातक अट्ठकथा सं० २४६, २८३ । ३ संयुक्तनिकाय २-२-४ । ४ वेदेहिपुत्तो ति वेदेहीत पण्डिताधिवचनं एतं, पण्डितित्थियापुत्तो ति अत्थो ।' ___ - संयुक्तनिकाय, अट्ठकथा-१, १२० ५ आवश्यकचूणि, भाग २, पत्र १६४ । ६ Rockhill : Life of Buddha, p. 63. ७ S. B. E. Vol. XLIX. p. 166. 5 Rockhill : Life of Buddha, p. 63. है भगवती सूत्र, शतक ७, उद्देशक ६, पृष्ठ ५७६. १० Buddhist India, p. 3. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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