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निह्नव कथाएँ २६७
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ग्रसित होकर इस सत्य को स्वीकार नहीं कर रहा है । आप उसे राजसभा में बुलायें । मैं उससे चर्चा करूँगा । राजा ने रोहगुप्त को राज सभा में बुलाया। छह महीने तक चर्चा चलती रही । राजा बलश्री भी परेशान हो गया । उसने आचार्य देव से निवेदन किया- भगवन् ! इस चर्चा के कारण राजकार्य में बाधा आ रही है । आचार्य ने कहा- मैं आज ही इसका निग्रह करूंगा । वाद प्रारम्भ हुआ आचार्य ने कहा - यदि तीन राशि वाली बात सही है तो हम कुत्रिकापण चलें । राजा आदि सभी को लेकर आचार्य कुत्रिकापण पहुँचे । वहाँ अधिकारी देव से कहा- हमें जीव, अजीव और नोजीव के पदार्थ प्रदान करो। उस देव ने जीव, अजीव के पदार्थ लाकर दिये और कहा - नोजीव का पदार्थ इस विश्व में नहीं है । राजा को आचार्य के कथन की सत्यता प्रतीत हुई । आचार्य देव ने एक सौ चौमालीस प्रश्नों के द्वारा रोहगुप्त को निग्रह कर पराजित किया । 1
राजा बलश्री ने आचार्य का अत्यधिक सम्मान किया। रोहगुप्त का तिरस्कार हुआ। राजा ने आदेश दिया- मेरे राज्य से चला जा । आचार्य ने उसे संघ से पृथक् कर दिया। रोहगुप्त अपने मत का प्ररूपण करता रहा । उसके अनेक शिष्यों ने उसके तत्त्व का प्रचार किया जिससे " त्रैराशिक" मत प्रचलित हुआ ।
१. आवश्यक नियुक्तिदीपिका में १४४ प्रश्नों का विवरण इस प्रकार प्राप्त है-. वैशेषिक षट्पदार्थ का निरूपण करते हैं - १. द्रव्य २. गुण ३. कर्म ४. सामान्य ५. विशेष ६. समवाय ।
द्रव्य के नौ भेद हैं-- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, काल, दिक्, मन और आत्मा ।
गुण के सतरह भेद हैं- रूप, रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, बुद्धि, सुख, दुःख, इच्छा, द्वेष और प्रयत्न । कर्म के पांच भेद हैं- उत्क्षेपण, अवक्षेपण, प्रसारण, आकुञ्चन और गमन । सत्ता के पांच भेद हैं- सत्ता, सामान्य, सामान्य विशेष, विशेष और समवाय । इन भेदों का योग [8 + १७+५+५] = ३६ होता है । इनको पृथ्वी, अपृथ्वी, नो पृथ्वी, नो अपृथ्वी - इन विकल्पों से गुणित करने पर ३६x४ =१४४ भेद प्राप्त होते हैं ।
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आचार्य ने इसी प्रकार के १४४ प्रश्नों के द्वारा रोहगुप्त को निरुत्तर कर उसका निग्रह किया । -- आवश्यक नियुक्ति दीपिका पत्र १४५, १४६.
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