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________________ श्रमण कथाएँ १६७ वादी एकदण्डी1 और (५) हस्तितापस । आर्द्रक मूनि ने सप्रमाण निर्ग्रन्य सिद्धान्त के अनुसार बहुत ही रोचक व चित्ताकर्षक उत्तर प्रदान किये जिन्हें सुनकर सभी स्तम्भित हो गये। आर्द्रकमुनि ने उन्हें दीक्षित किया। यहाँ यह भी चिन्तनीय है कि गोशालक आदि विरोधी पक्षों ने श्रमण भगवान् महावीर के जीवन और सिद्धान्त पर जो आक्षेप किया, उससे यह स्पष्ट होता है कि भगवान् महावीर की विद्यमानता में भी उनके प्रति कितनी भ्रान्तियाँ फैलाई गई थीं और विरोधी उन पर किस तरह आक्षेप करते थे ? आर्द्रक मुनि ने तर्क पुरस्सर समाधान कर उनके विरोधों का शमन किया। अतिमुक्तक कुमार अन्तकृद्दशा सूत्र वर्ग ६ अध्ययन पन्द्रह में महावीर तीर्थ के अतिमुक्तककुमार श्रमण का वर्णन है। एक बार भगवान महावीर पोलासपुर में पधारे । उपासकदशांग में पोलासपुर के राजा का नाम जितशत्र लिखा है तथा उपवन का नाम सहस्राम्रवन लिखा है। अन्तकृद्दशांग में राजा का नाम विजय, रानी का नाम श्रीदेवी तथा उद्यान का नाम श्रीवन लिखा है। हमारी दृष्टि से जितशत्रु , यह राजा का नाम न होकर विशेषण होना चाहिए। अनेक स्थलों पर 'जितशत्रु' इस नाम का उल्लेख हुआ है । अनेक राजाओं का एक ही नाम हो, यह कम सम्भव है । शत्रुओं पर विजय-वैजयन्ती फहराने के कारण उन्हें जितशत्र के नाम से सम्बोधित करते रहे हों, अस्तु ! भगवान् के प्रमुख शिष्य गणधर गौतम भिक्षा के लिये परिभ्रमण कर रहे थे। अतिमुक्तककुमार बाल-साथियों के साथ खेल रहा था। शांतदान्त, मंजुल मूर्ति गौतम को निहार कर अतिमुक्तक ने पूछा-आप क्यों घूम रहे हैं ? गौतम ने मन्दस्मित के साथ कहा-हम भिक्षा के लिए परि १. टीकाकार आचार्य शीलांक ने (२/६/४६) में इसे एकदण्डी कहा है । डा० हरमन जेकोबी ने अपने अंग्रेजी अनुवाद (S.B.E. Vol. XIV. P. 417h. में) इसे वेदान्ती कहा है । प्रस्तुत मान्यता को देखते हुए डा० जेकोबी का अर्थ संगत प्रतीत होता है । टीकाकार ने भी अगली गाथा में यही अर्थ स्वीकार किया है। २. उपासकदशांग, अध्ययन ७, सूत्र १ ३. अन्तकृद्दशांग, वर्ग ६, अध्ययन १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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