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________________ १४८ जैन कथा साहित्य की विकास यात्रा उवणिज्जई जीवियमप्पमायं । उपनीयती जीवितं अप्पमायु वण्णं जरा हरइ नरस्स रायं। वणं जरा हन्ति नरस्स जीवितो। पंचालराया ! वयणं सुणाहि करोहि पञ्चाल मम एत वाक्यं मा कासि कम्माई महालयाई ॥२६।। मा कासि कम्मं निरयूपपत्तिया ॥२०॥ अहं पि जाणामि जहेह साहू ! अद्धाहि सच्चं वचनं तव एत जं मे तमं साहसि वक्कमेयं । यथा इसि भाससि एव एतं । भोगा इमे संगकरा हवन्ति कामा च मे सन्ति अनप्परूपा जे दुज्जया अज्जो अम्हारिसे हिं ।।२७॥ ते दुच्चजा मा दिसकेन भिक्खु ॥२१॥ नागो जहा पंक जलावसन्नो नागो यथा पङ्कमज्झे व्यसन्नो दटठ थलं नाभिसमेइ तीरं। पस्सं थलं नाभिसम्भोति गन्तू। एवं वयं कामगुणेसु गिद्धा, एवं पहं कामपङ्के व्यसन्नी न भिक्खुणो मग्गमणुव्वयामो ॥३०॥ न भिक्खुनो मग्गं अनुब्बजामि ॥२२॥ जइ ता सि भोगे चइउं असत्तो न चे तुवं उस्सहसे जनिन्द अज्जाई कम्माइं करेहि रायं। कामे इमे मानुसके पहातूं। धम्मे ठिओ सव्वपयाणकम्पी धम्म बलिं पहपयस्सू राज तो होहिसि देवो इओ विउव्वी ॥३२॥ अधम्मकारो च ते माहु रट्टे ॥२४॥ डा० घाटगे का यह अभिमत है कि जातक के गद्य विभाग से पद्य विभाग अधिक प्राचीन है। गद्य विभाग बहुत बाद में लिखा गया और यह तथ्य भाषा और तर्क के द्वारा भी सिद्ध है। यह तथ्य यह मानने के लिए भी प्रेरित करता है कि उत्तराध्ययन में संग्रहीत कथावस्तु दोनों से भी प्राचीन है। उनका यह भी मन्तव्य है कि उत्तराध्ययन के पद्यों में उसका कोई उल्लेख नहीं है, केवल दोनों के संलाप में उनका संकेत है। जातक में उनके पूर्व-भवों का विस्तार से निरूपण हुआ है। सरपेन्टियर ने प्रस्तुत कथानक की तीन गाथाओं को अर्वाचीन माना है। परन्तु उसके लिए कोई प्रबल तर्क नहीं दिया है। चूणि, टीका प्रभृति व्याख्या ग्रन्थों में इस सम्बन्ध में मनीषी आचार्यों ने कहीं भी किसी १. Annals of the Bhandarkar Oriental Research Institute, vol. 17. (1935-1936) : A few Parallels in Jain and Buddhist Works, p. 342, by A. M. Ghatage. M. A. २ The Uttaradhyayana Sutra p. 326. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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