SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण-कथाएँ आगम साहित्य में श्रमणों की कथाएँ अपेक्षाकृत कम हैं, किसी-किसी आगम में यत्र-तत्र कुछ कथाएँ मिलती हैं, किन्तु क्रमबद्ध कथाएं नहीं है । औपपातिक, अन्तकृद्दशा व ज्ञाताधर्मकथासूत्र में कुछ श्रमणों को है कथाएँ यहाँ इन पर चिन्तन करना है। महाबल ज्ञाताधर्म कथा में महाबल का पवित्र चरित्र दिया गया है । महाबल विमलनाथ अरिहन्त के समय में हुए। उनका जन्म हस्तिनापुर के बलराजा एवं प्रभावती की कुक्षि से हुआ। जब महाबल का जोव गर्भ में आया, तब माता प्रभावती ने सिंह का स्वप्न देखा और विविध प्रकार के दोहद उत्पन्न हुए । जन्म लेने पर राजा ने अपने हृदय का आह्लाद बन्दीजनों को मुक्त कर व्यक्त किया तथा विविध प्रकार के उत्सव मनाये। बलराजा का पूत्र होने से उसका नाम 'महाबल' रखा। क्षीरधात्री, मज्जनधात्री, मण्डनधात्री, कीड़नधात्री एवं अंकधात्री इन पाँच धात्रियों से सम्पोषण पाता हुआ महाबल बढ़ने लगा। सूर्य-दर्शन, जागरण, नामकरण, घुटनों के बल चलना, पैरों से चलना, अन्न-भोजन प्रारम्भ करना, ग्रास बढ़ाना, सम्भाषण करना, कान विधाना, वर्षगाँठ मनवाना, चोटी रखवाना, उपनयन करना, आदि बहुत से गर्भ धारण, जन्म-महोत्सव आदि विविध प्रसंगों को लेकर विविध प्रकार के कौतुक किये। . संस्कार चिन्तन ___ जैनधर्म की आचार-संहिता में बाह्य विधि-विधानों का निरूपण कम हुआ है जबकि ब्राह्मण परम्परा के ग्रन्थों में संस्कारविधियों का विस्तार से निरूपण है । गौतम धर्मसूत्र, आपस्तम्भ धर्मसूत्र और वसिष्ठ धर्मसूत्र, १ गौतम धर्मसूत्र ८/८ २ आपस्तम्भ धर्मसूत्र, १/१/१/8 ३ वसिष्ठ धर्मसूत्र ४/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy