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________________ उत्तम पुरुषों की कथाए १०६ नाम, गुरुओं के नाम तथा उनके अग्रिम देवभवों के नाम बताये गये हैं। इस तीसरे भव के अतिरिक्त अन्य किसी पूर्वभव से सम्बन्धित कोई भी विवरण ‘पउमचरियं' में नहीं है । समवायांग में चौबीस तीर्थंकरों के नाम आये हैं, उनमें से कछ ही नाम मिलते हैं, शेष नाम पृथक हैं। जैसे-- 'समवायांग' में पार्श्व का नाम सुदर्शन' है, जबकि 'पउमचरियं' में आनन्द है। समवायांग के "सुदर्शन' नाम का विवरण अन्य किसी भी पार्श्व चरित्र में नहीं मिलता है। ___ विभलसूरि रचित पउमचरियं के समान ही आचार्य रविषे ग ने भी पद्मपुराण में पार्श्वनाथ का विवरण दिया है। पूर्वभवों का सर्वप्रथम व्यवस्थित उल्लेख श्वेताम्बर परम्परा में 'चउपन्न महापूरिस चरिय' में है तथा दिगम्बर परम्परा में 'उत्तरपुराण' में है । फिर उसके बाद रचित ग्रन्थों में प्रायः उन्हीं का अनुसरण हुआ है । समवायांग और कल्पसूत्र में पार्श्व का नामकरण किस कारण हुआ? इसकी कोई सूचना वहाँ पर नहीं है । आवश्यकनियुक्ति में सर्वप्रथम इसके निमित्त की चर्चा की गई है। वहाँ लिखा है- “सप्पं सयणे जणणी तं पासइ तमसि तेण पास जिणो।" आचार्य हरिभद्र ने प्रस्तुत विषय पर विस्तार से चिन्तन करते हुए लिखा है कि पार्श्व की माता वामा भगवान् के गर्भ में आने पर स्वप्न में नाग देखती है तथा पार्श्वनाथ के दिव्य प्रभाव से अन्धकार में भी सन्निकट में से निकलते हुए सर्प को देखती है, इसलिए भगवान् का नाम 'पार्श्व' रखा गया । आचार्य हेमचन्द्र, भावदेव, विनयविजय जी आदि ने नामकरण में 'पार्श्व' में जाते हुए सर्प को देखा, इसलिए उनका नाम पार्श्व हुआ, ऐसा १. पउमचरियं २०/१-२५. डा० हरमन जेकोबी इसकी रचना तीसरी शताब्दी मानते हैं। ग्रन्थ की प्रशस्ति में रचनाकाल वीर नि० सं० ५३० अर्थात् ई० सन् ३ बताया है । पर सभी विज्ञों में एकमत नहीं । २. आवश्यकनियुक्ति, गाथा १०६१. ३. आवश्यकनियुक्ति, हरिभद्रियावृत्ति, पृ० ५०६. ४. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र, ६/३/४३-४४. ५. पार्श्वनाथ चरित्र, सर्ग ५. ६. कल्पसूत्र, सुबोधिका टीका प.० २०३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003190
Book TitleJain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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