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उत्तम पुरुषों की कथाएँ
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ऐतिहासिक महापुरुष मानते हैं। वे भगवान् महावीर के जन्म से तीन सौ पचास वर्ष पूर्व जन्मे थे। सर्वप्रथम डा० हरमन जेकोबी ने जैनागमों के साथ ही बौद्ध त्रिपिटकों के आधार पर पार्श्वनाथ को ऐतिहासिक पुरुष सिद्ध किया है। उसके बाद कॉलब्रक, स्टीवेन्सन, एडवर्ड टामस, डा० बेलवलकर, दासगुप्ता, डा० राधाकृष्णन, शान्टियर, गेरीनोट, मजूमदार, ईलियट, पुसिन आदि विज्ञों ने सप्रमाण यह प्रमाणित किया है कि श्रमण भगवान् महावीर से पूर्व एक निर्ग्रन्थ सम्प्रदाय था, जो बहुत प्रभावशाली था। उस निर्ग्रन्थ सम्प्रदाय के प्रधान नायक पार्श्वनाथ थे। डा० चार्ल्स शान्टियर का अभिमत है कि हमें इन दो बातों का स्मरण रखना होगाजैन धर्म निश्चित रूप से महावीर से प्राचीन है। उनके प्रख्यात पूर्वगामी पाव निश्चित रूप से एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में विद्यमान रह चुके हैं। परिणामस्वरूप, मूल सिद्धान्तों की प्रमुख बातें महावीर से पूर्व सूत्र रूप धारण कर चुकी होंगी।
भगवान् पार्श्व के जीवन-वृत्त के सम्बन्ध में सर्वप्रथम सूचना श्वेताम्बर आगमों में समवायांग और कल्पसूत्र में मिलती है। समवायांग में पार्श्व के माता-पिता, उनकी दीक्षा नगरी, शिविका, चैत्य वृक्ष और उनके प्रमुख शिष्य एवं शिप्याओं का नाम निर्दिष्ट हुआ है। जीवन वृत्त के क्रम से एक ही घटना उसमें नहीं आई है। नामों के अतिरिक्त पार्श्व के साथ दीक्षा लेने वालों की संख्या, प्रथम तप के दिनों की संख्या बताई है तथा
1. The Sacred Books of the East, Vol. XLV, Introduction, page
21. "That Parsya was a historical person, is now admitted by
all as very probable,............" 2. Indian Philosophy, Vil. I. p. 287. 3. The Uttaradhyayana Sutra, Introduction, p. 21 : "We ought
also to remember that the Jain religion is certainly older than Mahavira, his reputed predecessor Parsva having almost certainly existed as a real person, and that, consequently, the main points of the original doctrine may have been codified long before Mahavira."
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