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दृष्टि बदलिए, सृष्टि बदलेगी | ७१ मिस्र के एक धनाढ्य अमीर वेसारी को प्रचुर धन विरासत में मिला था। किन्तु वह अपने जीहजूरियों के साथ सदैव शराब में डूबा रहता था। जिन सोने के प्याले में एक बार शराब पी जाती थी, उनका दुबारा उपयोग नहीं किया जाता था। उसे स्वच्छन्द जीवन जीना पसन्द था। इसमें वह किसी भी प्रकार का अवरोध आने देना नहीं चाहता था । कहते हैं, उसने अपनी सारी पैतृक सम्पत्ति शराब में गवा दी । मरते समय उसके कफन के लिए भी पैसे नहीं बचे थे।
बारहवीं शताब्दी के प्रख्यात यवन सम्राट मलिक अल अजीज की फिजूलखर्ची बेमिसाल थी। उसने नित नये प्रकार के वस्त्र तैयार करने के लिए सैकड़ों कारीगर नियुक्त कर रखे थे, जिन पर लाखों रुपये प्रतिमास खर्च होते थे। अपव्यय की इस आदत के कारण उसकी प्रजा अत्यधिक रुष्ट हो गई और राज्य में बगावत हो जाने से वह मारा गया।
मंगोलिया के शेख शाहरूख ने अपने ४३ जन्म-दिन धन के अपव्यय के रूप में मनाये थे। वह अपने जन्मदिवस के दिन आने वाले व्यक्ति को हीरे, पन्ने और मोतियों से भरा थाल देता था। उसकी सारी सम्पत्ति इस अपव्यय के कारण हाथ से चली गई। किसी अच्छे कल्याणकार्य में खर्च नहीं हो पाई।
स्पेन-अधिकृत गायना (अफ्रीका) में एक सम्राट हआ था-व्यूविस्त । उसे नित्य नये सिंहासन पर बैठने का शौक था। उसने नई-नई डिजाइन के सिंहासन तैयार करने के लिए देश के नामी कारीगरों को स्थायीरूप से नियुक्त कर दिये थे। एक बार वह उस नवनिर्मित मूल्यवान् रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठने के बाद उसे यह कहकर नदी में प्रवाहित करा देता था कि उस सिंहासन पर दूसरा कोई न बैठे, जिससे उसका गौरव सुरक्षित रह सके।
कितना बेहूदापन है, इस फिजूलखर्ची का और मिथ्यागौरव की सृष्टि का !
मिस्र की टकसाल के मालिक खलील घाहेरी ने अपने जीवन काल में कई बार मक्का की यात्रा की। वह आठ सौ मील लम्बी दूर तीर्थयात्रा के दौरान मार्ग में सोने की मुहरें बिछवाता था, ताकि उसका ऊँट प्रत्येक कदम सोने पर रखे। कारवाँ-गुजर जाने के बाद पथिक उन स्वर्णमुद्राओं को उठा लेते थे। उसका समस्त कोश इस प्रकार समाप्त हो गया ।
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