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________________ ७० ऋषभदेव : एक परिशीलन ऋषभदेव ने सुनन्दा व सहजात सुमङ्गला के साथ पाणिग्रहण कर नई व्यवस्था का सूत्रपात किया।"६ सुमङ्गला ने भरत और ब्राह्मी को और सुनन्दा ने बाहुबली और सुन्दरी को जन्म दिया। इसके पश्चात् सुमंगला के क्रमशः अट्ठानवें पुत्र और हुए। दिगम्बर परम्परा निन्यानवें पूत्र मानती है।५९ ५६. (क) भोगसमत्थं नाउ, वरकम्मं तस्स कासि देविन्दो । दोण्हं वरमहिलाणं, बहुकम्मं कासि देवीतो ।। -आव० नि० गा० १६१ प० १६३ (ख) त्रिषष्ठि १।२।८८१ ।। देवी सुमङ्गलाए, भरहो बम्भी य मिहुणगं जायं । देवीए सुनन्दाए, बाहुबली सुन्दरी चेव ।।। -आवश्यक मूलभाष्य (ख) छप्पुथ्वसयसहस्सा, पुवि जायस्स जिणवरिदस्स । तो भरहबंभिसुन्दरि, बाहुबली चेव जायाइ । -आव० नि० गा० १६२ म० वृ० १६४।१ (ग) आवश्यक चूणि पृ० १५३। (घ) सुनन्दा सुन्दरी पुत्री, पुत्रं बाहुबलीशिनम् । लब्ध्वा रुचि परां भेजे, प्राचीवार्क सह त्विषा ।। -महा० १६।८।३४६ (ङ) तदा बाहुजीवो भरतः, पीठजीवो ब्राह्मी इति सुमङ्गलायाः ___ मिथुनकं जातं । एवं सुबाहुजीवो बाहुबली, महापीठजीवः सुन्दरी इति मिथुनकं सुनन्दायाः जातं ।। -कल्पलता-समय सुन्दर (च) कल्प० कल्पार्थबोधिनी पृ० १४४-१४५ । (छ) , कल्पद्रु म कलिका, लक्ष्मी० पृ० १४३ । अउणापन्नं ज्यले पुत्ताण सुमङ्गला गो रस । -~-आव०नि० गा० १६३ मल० वृ० १९४१ (ख) आवश्यक चूणि पृ० १५३ । (ब) एवं पुनरपि सुमङ्गलाया एकोनपञ्च शत् युगलानि पुत्ररूपाणि जातानि । ___ --कल्पलता-समयसुन्दर ५६. इत्येकानशतं पुत्रा, बभूबुवृषभेशिनः । भरतस्यानुजन्मानम् चरमाङ्गा महौजसः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003187
Book TitleRishabhdev Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1967
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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