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________________ गृहस्थ-जीवन जन्म भगवान् श्री ऋषभदेव का जन्म जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, कल्पसूत्र, आवश्यकनियुक्ति, आवश्यकचूर्णिी, त्रिषष्ठिशालाकापुरुषचरित्र, प्रभृति श्वेताम्बरग्रन्थानुसार चैत्र कृष्णा अष्टमी को हुआ और दिगम्बराचार्य जिनसेन के अनुसार नवमी को । संभव है अष्टमी की मध्यरात्रि होने से श्वेताम्बर परम्परा ने अष्टमी लिखा हो और प्रातःकाल जन्म मानने से दिगम्बर परम्परा ने नवमी लिखा हो । इस ३०. उसभे अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्सणं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खेणं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णारणं अट्ठमाण य राइन्दियाणं जाव आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं पयाया। --कल्पसूत्र, पुण्य० सू० १६३ पृ० (ख) चेत्तबहुलट्ठमीए जातो उसभो असाढनक्खते । -आवश्यक नियुक्ति गा० १८४ (ग) .....""चेतबहुलट्टमीए उत्तरासाढाणक्ख तेरणं जाव अरोगा अरोगं पयाता। -आवश्यक चूर्णि, जिनदासमहत्तर पृ० १३५ (घ) त्रिषष्ठिः सर्ग २, पर्व १ श्लो० पृ० २६४ । (ङ) कल्पलता—समय सुन्दर पृ० १६७ । (च) कल्पद्र म कलिका–लक्ष्मीवल्लभ पृ० १४२ । (छ) कल्पसूत्र कल्पार्थबोधिनी, केशरगणी पृ० १४४ । (ज) कल्पसूत्र , कल्पसुबोधिका, पृ० ४८५ । ३१. अथातो नवमासानाम्, अत्यये सुषुवे विभुम् । देवी देवीभिरुक्ताभिः, यथास्वं परिवारिता ॥ प्राचीव बन्धुमब्जानां, सा लेभे भास्वरं सुतम् । चैत्रे मास्यसिते पक्षे, नवम्यामुदये रवः ।। विश्बे ब्रह्ममहायोगे, जगतामेकवल्लभम् । भासमानं त्रिभिर्बोधैः शिशुमप्यशिशु गुणैः ।। –महापुराण जिनसेन स० १३, श्लो० १-३ पृ० २८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003187
Book TitleRishabhdev Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1967
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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