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ऋषभदेव : एक परिशीलन
जब बालक गर्भ में आता है तब गर्भ का माता के मानस पर, और माता के मानस का गर्भ पर प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि किसी विशिष्ठ पुरुष के गर्भ में आने पर उसकी माता कोई श्रेष्ठ स्वप्न देखती है। भारतीय साहित्य में स्वप्न-विज्ञान के सम्बन्ध में विस्तार से निरूपण मिलता है। मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के गर्भ में आने पर माता कौशल्या ने चार स्वप्न देखे थे ।२४ कर्मयोगी श्रीकृष्ण के गर्भ में आने पर देवकी ने सात स्वप्न देखे थे ।२५ महात्मा बुद्ध के
(घ) नाभिस्त्वजनयत् पुत्रं, मरुदेव्या महाद्य तिम् ॥५६॥
ऋषभं पार्थिवं श्रेष्ठ, सर्वक्षत्रस्य पूर्वजम् ।
ऋषभाद् भरतो जज्ञे, वीरः पुत्रशताग्रजः ।। -- ब्रह्माण्ड पुराण, पूर्वाद्ध, अनुषङ्गपाद श्लो० ५६-६० अध्याय १४ (ङ) नाभिर्मरुदेव्यां पुत्रमजनयत् ऋषभनामानं ।
__ --वाराह पुराण अध्याय ७४ पुत्रश्च ऋषभः । ----स्कन्ध पुराण, माहेश्वरखण्ड-कौमारखण्ड
श्लो० ५७ अध्याय ३७ (छ) हिमाह्वयं तु यद्वर्ष, नाभेरासीन्महात्मनः । तस्यर्षभोऽभवत्पुत्रो, मेरुदेव्या महाद्य तिः ।।
-कूर्मपुराण श्लो० ३७ अध्याय ४१ २४. (क) चतुरो बलदेवाम्बाथ".............।
-श्री काललोकप्रकाश, सर्ग ३०, श्लोक ५६ पृ० १६६ (ख) ददर्श सुखसुप्ता च यामिन्याः पश्चिमे क्षणे । चतुरः सा महास्वप्नान् सूचनान् बलजन्मनः ।।
-त्रिषष्ठि० पर्व ४ । सर्ग १, श्लो० १६८ (ग) सेनप्रश्न पृ० ३७६ ।
(घ) जैन रामायण, केशराज जी १६ वी ढाल के दोहे । २५. यामिन्याः पश्चिमे यामे सूचका विष्णुजन्मनः । देव्या दहशिरे स्वप्नाः सप्तैते सुखसुप्तया ॥
-त्रिषष्ठि० ४।१।२१७ (ख) सेनप्रश्न पृ० ३७६ ।
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