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________________ ऋषभदेव : एक परिशीलन पुत्र लिखा है। और आचार्य मलयगिरि व आचार्य हेमचन्द्र ने अतिबल का पौत्र लिखा है। महाबल के पिता को एक बार संसार से विरक्ति हुई,3२ पुत्र को राज्य दे वह स्वयं श्रमरण बन गये। एक बार सम्राट महाबल अपने प्रमुख अमात्यों के साथ राज्य ३१. ३०. अइबलरण्णो णत्ता। -आवश्यकनियुक्ति मल० वृ० १५८ त्रिषष्ठिशला० १।१२५ ३२. अथान्येद्य रसौ राजा निर्वेद विषयेष्वगात् । वितृष्णः कामभोगेषु प्रव्रज्याय कृतोद्यमः ।। --महापुराण, जिन० ४।१४१।८४ (ख) त्रिषष्ठि १।१।२५० से २६५ । ३३. पुत्र राज्ये निवेश्यैवं स्वयं शतबलस्ततः । आददे शमसाम्राज्यमाचार्यचरणान्तिके । -त्रिषष्ठि ११॥२७४ (ख) इति निश्चित्य धीरोऽसावभिषेकपुरस्सरम् । सूनवे राज्यसर्वस्वमदितातिबलस्तदा ॥ ततो गज इवापेतबन्धनो निःसृतो गृहात् । बहुभिः खेचरैः साद्ध दीक्षां स समुपाददे । ___-महापुराण जिन० ४।१५१।१५२ पृ० ८५ ३४. ते स्वयम्बुद्धः सम्भिन्नमतिः शतमतिस्तथा । स्वयंबुद्धश्च तत्रासाञ्चक्रिरे मन्त्रिणोऽपि हि ॥ १।१२८७.११ (ख) महामतिश्च सम्भिन्नमतिः शतमतिस्तथा । स्वयंबुद्धश्च राज्यस्य मूलस्तम्मा इव स्थिराः ।। --महापुराण ४१६१८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003187
Book TitleRishabhdev Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1967
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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