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ऋषभदेव : एक परिशीलन
प्राप्त किया।२९८ श्रीमद्भागवत के अभिमतानुसार सौ पुत्रों में से कवि, हरि, अन्तरित, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रु मिल, चमस, और करभाजन--ये नौ आत्म विद्याविशारद पुत्र वातरशन श्रमण बने ।२९९ भगवान के संघ में
भगवान् के आध्यात्मिक पावन प्रवचनों को श्रवण करके भगवान् के संघ में चौरासी हजार श्रमरण बने ।३०° तीन लाख श्रमणियाँ बनीं,३०१
२६८. आवश्यक नियुक्ति, गा० ३४८-३४६ मल० वृ० प० २३१-३२ । २६६. नवाभवन् महाभागा मुनयोह्यर्थशंसिनः ।
श्रमणा वातरशना आत्मविद्याविशारदाः ।। कवि हरिदन्तरिक्षः प्रबुद्धः पिप्पलायनः । आविर्होत्रोऽथ द्रु मिलश्चमसः करभाजनः ।।
-भागवत११।२।२०-२१ ३००. (क) समवायाङ्ग ८४
(ख) आवश्यक नि० गा० २७८ मल० वृ० प० २०७ (ग) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति (घ) उसभसेणपामोक्खाओ चउरासीइ समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था ।
-कल्पसूत्र, सू० १६७ पृ० ५८ (ङ) त्रिषष्ठि० १।६। ३०१. बंभीसुन्दरिपामोक्खाणं अज्जियाणं तिनि सयसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया होत्था ।
--कल्पसूत्र सू० १६७ पृ० ५८ (ख) आवश्यक मल० वृ० प० २०८ गा० २८२ (ग) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, पृ० ८७ अमोल (घ) त्रिषष्ठि० ११६
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