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________________ १५० ऋषभदेव : एक परिशीलन स्पष्ट है कि "ऋषभपुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम से ही प्रस्तुत देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। पाश्चात्य विद्वान् श्री जे० स्टीवेन्सन२९३ का भी यही अभिमत है और प्रसिद्ध इतिहासज्ञ गंगाप्रसाद एम. ए.२९४ व रामधारीसिंह दिनकर२९५ का भी यही मन्तव्य है। कुछ लोग दुष्यन्त पुत्र भरत से भारतवर्ष का नाम संस्थापित करना चाहते हैं पर प्रबल प्रमाणों के अभाव में उनकी बात किस प्रकार मान्य की जा सकती है। उन्हें अपने मतारह को छोड़कर यह सत्य तथ्य स्वीकार करना ही चाहिए कि श्री ऋषभ पुत्र भरत के नाम से ही भारतवर्ष प्रसिद्ध हुआ। भरत को केवल ज्ञान दीर्घकाल तक राज्यश्री का उपभोग करने के पश्चात् [भगवान् श्री ऋषभदेव के मोक्ष पधारने के वाद] एकबार सम्राट भरत वस्त्राभूषणों से सुसज्जित होकर आदर्श (काँच ) के भव्य-भवन में गये। अँगुली से अँगूठी गिर गई, जिससे अंगुली असुन्दर प्रतीत हुई। भरत के मन में एक विचार प्राया। अन्य प्राभूषण भी उतार दिए। चिन्तन के आलोक में सोचा-पर-द्रव्यों से ही यह शरीर सुन्दर प्रतीत होता है। कृत्रिम सौन्दर्य वस्तुतः सही सौन्दर्य नहीं है । प्रात्म २६३. Brahmanical Pt.ranas prove Rishabh to be the father of that Bharat, from whom India took to name 'Bharatvarsha". -~-Kalpasutra Introd. P. XVI २६४. ऋषियों ने हमारे देश का नाम प्राचीन चक्रवर्ती सम्राट् भरत के नाम पर भारतवर्ष रखा था। --प्राचीन भारत पृ० ५ २६५. भरत ऋषभदेव के ही पुत्र थे जिनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। -संस्कृति के चार अध्याय पृ० १२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003187
Book TitleRishabhdev Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1967
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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