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ऋषभदेव : एक परिशीलन
कपिल जैसे शिष्य को प्राप्तकर उसका उत्साह बढ़ गया। उसने तथा उसके शिष्य कपिल ने योगशास्त्र और सांख्य शास्त्र का प्रवर्तन किया ।२२८
मरीचि और कपिल का वर्णन जैसा जैन साहित्य में उदृङ्कित है वैसा भागवत आदि वैदिक साहित्य में नहीं। जहाँ जैन साहित्य में मरीचि को भरत का पुत्र माना है वहाँ भागवतकार ने भरत की वंश परम्परा का वर्णन करते हुए उसे अनेक पीढ़ियों के पश्चात् "सम्राट" का पुत्र बताया है तथा उसकी माँ का नाम "उत्कला' दिया है ।२२९
जैन साहित्य में कपिल को राजपुत्र बताया है और वैदिक साहित्य में उसे कर्दम ऋषि का पुत्र बताया है। साथ ही उन्हें विष्णु का पाँचवाँ अवतार भी माना है ।२३०
जब कपिल कर्दम ऋषि के यहाँ जन्म ग्रहण करता है तब ब्रह्मा जी मरीचि आदि मुनियों के साथ कर्दम के आश्रम में
२२८. (क) स प्राग्जन्मावधेत्विा , मोहादभ्येत्य भूतले ।
स्वयं कृतं सांख्यमतमासूर्यादीनबोधयत् ।। तदाम्नायादत्र सांख्यं प्रावर्तत च दर्शनम् । सुखसाध्ये ह्यनुष्ठाने प्रायो लोकः प्रवर्तते ।।
त्रिषष्ठि० १०।१।७३-७४ (ख) तदुपज्ञमभूद् योगशास्त्रं तन्त्रं च कापिलम् । येनायं मोहितो लोकः सम्यग्ज्ञानपराङ्मुखः ।।
-महापुराण १८।६२४०३ २२६. ततः उत्कलायां मरीचिमरीचेविन्दु........।।
-भागवत ५।१५।१५।६०६ २३०. पंचमः कपिलो नाम सिद्ध शः काल विप्लुतम् । प्रोवाचासुरये सांख्यं तत्त्वग्रामविनिर्णयम् ।।
-भागवत स्कन्ध १, अं० अ० श्लो० १० पृ० ५६
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