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अपना मांस ? ____ आधुनिक यूरोप के साहित्य-शिल्पी जार्ज बनार्डशा ने एक प्रसंग पर कहा था- "कविस्तान में सिर्फ मुर्दा प्राणी दफनाए जाते हैं, किंतु जो मांस खाते हैं, उनके पेट तो सचमुच जिन्दा प्राणियों के कब्रिस्तान हैं।"
'मांस भक्षण' मनुष्य के मन की घोर क्रूरता का प्रतीक है। जिसके मन में तनिक भी पर-पीड़ा की अनुभूति है, वह मांस भक्षण नहीं कर सकता। मनुस्मृति में 'मांस' की व्युत्पत्ति करते हुए कहा है
मां स भक्षयिताऽमुत्र यस्य मांसमिहाम्यहम् ।। एतन्मांसस्य मांसत्वं प्रवदन्ति मनीषिणः ॥१॥ -~मैं यहां पर जिसका मांस खाता हूँ, मुझको भी वह (मां-सः) परलोक में खायेगा। यह मांस की परिभाषा है। ___ मनुष्य यदि अपने मां स से दूसरे के मांस की तुलना
१. मनुस्मृति ७।५५
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