________________
नाम और काम
४१ "आर्य ! मेरा नाम जो है वही ठीक है, 'जीवक' को मैंने मरते देखा है, 'शीलवती' को दुराचार के कारण दंड पाते देखा है और 'पंथक' को पथ भूलकर भटकते देखा है। आर्य ! मैंने समझ लिया है-"नाम सिर्फ पहचान के लिए है ! उससे साधना में कोई अन्तर नहीं आता !"
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org