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दस गुरु
दुर्भावनाओं से मुक्त रहकर सरलता पूर्वक जीवन-यापन करना मैंने बालक से सीखा है ।"
महर्षि दत्तात्रय के हृदयस्पर्शी वचन सुनकर राजा यदु ने विनत होकर कहा - "ब्रह्मन् ! सचमुच आपने जीवन की समस्त विभूतियों का सार प्राप्त कर लिया है । "
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