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पूजा करना या करवाना ?
उनकी पूजा करने के लिए चरणों पर आने लगे, कुछ ही क्षणों में फूलों का कचूमर निकलने लगा, पंखुडियां टूट कर गिरने लगी ।"
संत्रस्त्र उद्विग्न फूल क्षमा प्रार्थना करने प्रकृति के चरणों में पहुचे – “देवि ! हमें पूजा का सम्मान नहीं चाहिए, पूजा ग्रहण करने की अपेक्षा पूजा करना ही ज्यादा श्रेयस्कर है ।"
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